Saturday, May 5, 2012

२८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा- संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज(हमर १२१म मिथिला जागरण यात्रा )

२८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा- संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज(हमर १२१म मिथिला जागरण यात्रा ) एकर मुख्य उद्देश्य छल जे २८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा गाम( लदनिया लग) में हो ओना ओहि कैंपक आयोजनक एक और कारण छल जे बलहा, राजनगरक मुंबईमें मैथिली दर्पणक प्रबंधक संजय झांक बेटाक जनयूक रातिममे भाग लय सकी आ जेबाक अछि त किछु काज हो होई लेल इ दूनू य गेल आ ऊपरस सीबिपटटीमें हमर एक पारिवारिक कार्य आ बेल्हवाड़में एक युवास संपर्क आ फेर परिहारपुरमें एक नुक्कड़ सभा आ ओतहु मनि गेल दोसर दिन भोगेन्द्रझाजी द्वारा जानकी नवमी जेना सहयात्री गुणानदजी मना लेलाह धनबाद में - दू निठाह अपरिचित द्वारा आ जोरल जाय पद्मा के त तीन ठाम जानकी नवमी एहि यात्राक उपफल रहल वा मुख्यफल से कहनाई कठिन ओना नहि भेल त बलहामें मैथिली सभा जखन की हम हुनक आमंत्रण एही शर्त्त पर मानने छलियेन्ही ओ कहैत छलाह जनेऊ दिन आबी मुदा हम ओहि लेल छुट्टी लेब नहि चाहैत छलन्हू जकर उपयोग सामाजिक कार्य में हम (यानी संगठनात्मक कार्यमें करैत छि, ओना जनेऊ सेहो एक महान सामाजिक कार्य छैक) पद्मा हम ६.१०.२०११ क पूजाक माहौल में एकाएक चलि गेल छलन्हू जखन झंझारपुर क्षेत्र में घुमय लेल बाइक क व्यवस्था नहीं भय सकल छल आ महुलियाक रमेश कामत कहलक आबी आ फेर घनश्याम ठाकुर दिल्ली सेहो पद्मा में छलाह नीक बैसार क बाद निर्णय छल जे एक कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर ओत हो आ एक बेर तय तारीख स्थगित सेहो भेल छल मुदा एही बेर रामावतार यादव गछ्लाह शाशिबोधजी आ कमलेशजी सेहो आ अंतमें घनश्यामक पिताजी बैद्यनाथ ठाकुर सब सूचानादिक काज संयोजक नाते चित्तरंजनमें अनवधान भेटल गुणानंदजी दरभंगा उतारी गेलाह आ जयनगरमें वापसी आरक्षण बहुत झंझटक बाद भेल सेहो कन्फर्म नहि कमलकांतजीक मोन ख़राब भेलैन्ही आ कपिलदेव कुंवरक आपरेशन २ दिन बाद तैं नहि गेलाह हम सीधा बस स्टैंड छोट बसक छोट सीट पर एक मोट मैथिलानी शायद मुखिया कतहु के कहलियेन्ही अहाँ महिला सीट पर जाई मुदा कहलीह 'हमारा अंतर नहि पडैत अछि. मुदा हमरा अंतर परे छल असुविधा होइत कसमकस ओकर पाछाँ सीट पर सामान राखल खाली पेट तरबूजा आ खीरा २५ टाकाके खायल बस साढ़े ११में खुजल आ १० किलोमीटरक यात्रा घंटा भरिमें केलक रोड खराब बतबैत बिहारक विकासमें मिथिलाक स्थान नहि रास्तामें कमलाबाडी आ और किछु गाम जिम्हर १७ .१०.१९९४क साईकिलस घुमल छलन्हू - बादमें कमलकांतजीक प्रभावस कार्यकर्त्ता बनलओही रास्ताक बेला मक रामानंद ठाकुरजी (१९१९- ३०.१.२००९) कहने छलाह ओही रास्ताक अनेक लोक हमर याद करैत छलाह ओही घुमानक कारण काफी गर्म समय आ चौक पर उतरि बैद्यानाथ्जीक घर गेलंहु आ स्नान संध्या तर्पण पूजा बाद हुनक भोजन आ फेर हुनक कक्कास किछु ज्ञान मिथिलाक बारे में ओ नेपाली मिथिला सिरहामें रही पंडिताई करैत छथि तीन बजेक समय छल मीटिंगके ओकर पूर्व रामावतार यादवजी आबि गेलाह किछु देर बात भेल फेर हम सब डॉ राजकुमार झाजीक डेरा गेलहुं बात अनेक भेल पद्मामे महाकवि विद्यापति अपन यौवनक समयक अनेक रचना केने छथि आस पास उत्खानन हेबाक चाही आदि आदि फेर महावीर मंदिर अयलान्हू आ कार्यकर्ता प्रशिक्षण नियत विषय सब पर भेल असगरे छाल्नु एहि हेतु सब विषय कनी कनी रखल मिथिलाक विकासक एक एक कारक पूछ ला पर गोष्ठीमें बैद्यनाथ ठाकुर - यातायातक दुर्गमता इंजीनियर रंजन राजू- अस्वास्थ्य स्थिति विजयकांत मिश्र - संगठनक अभाव नारायण पासवान- आपसी प्रेमक अभाव काशीकांत झा- बिजलीक अभाव रामावतार यादव- अशिक्षा जगन्नाथ मिश्र- संगठन आ मार्गदर्शनक अभाव शोभाकांत ठाकुर- पिछड़ापन दूर हो सीताराम यादव- संस्कृतक पढाई हो उत्तिम कामती- भक्ति भजनमें कमी सभ्यता में कमी, झूठ फूट बजैत आ लोकमें नैतिकताक अभाव कुल २६ गोटा प्रशिक्षित भेलाह डॉ. राजकुमार झांक गामक हर वर्गक लोकस प्रीती देखि लागल जे ओ आदर्श छथि खास कयक हुनक पिता सेहो ओतक बडका जमींदार छलथि स्वयं चौक पर एक मैथिल कामती के सन्देश दोसर दिन लेल देल्खिंह आबय लेल ओ सबस बेशी पैघ विद्वान् (रांची विश्वविद्यालयक राजनीति विभागक अध्यक्ष रहल) आ हस्तलिपि सबस नीक मुदा दूनू भाई के विचार नीक आ दस्तखत तक एक समान मानो ओहूमें आनुवंशिक प्रभाव हो गोष्ठी चलल साढ़े १० तक गोष्ठी चलल साढ़े १० तक एक बस दौड़ीके धरल जयनगर फेर कलुआहीक चिन्हल जानल चौक बिना रुकने करमौली होइत डोकहरक रास्ता देखैत शिबिपट्टी अपन पारिवारिक कार्य लेल फेर १ किलोमीटर चलि रौद में बेल्ह्वार मोर परिहारपुर उतरि बलहा दिशी एक दोकान पर छोट बछा स पूछल की बजैत छि- मैथिली कतय रहैत छी - मिथिला में एखन हमर संस्कृति जीवित अछि तीनू के टॉफी खुवावल जे संजयजी मुम्बईक मोबाइल बंद रहन्हि तीन दिनस हुनक दोसर लोकल स फोन पर जान में जान आयल एक बाइक लयक लें लेल अयलाह हुनक बेटा आ भातिज मिला तीन बरुआ आशीष देल संजयजी क दादाजी सेहो जीवित छथिन्ह प्रपौत्र दर्शी न नरकं गमेत आशा अछि ओ ओकरो संतान देखथी चुडा - दही संग ६ मिठाई (बाद में तकलीफ रांची लौटाला पर बासी मिठाई चलते भेल वा गर्मी चलते कहनाई कठिन) विकासजी बाइकस छोडय शिबबाबू क मकान देखल पंकज नहि छल हुनक पिता भेटलाह फेर कहियो ९.१०.२००८ क राजनगरस हुनक गाममें घुसि वापस भेल छलहूँ खराब रोड़ाबला रोड पर एक दिन पूर्व जरैल स नागदह- बलाइन - मधुबनी होइत कोइलखक यात्रामें घुटनाक जोड़में घिसाब भय गेल छल बलहा घुसी वापस भय धुरियान ट्रेनमे साइकिल लादि जयनगर गेल छलन्हू तकर बाद साइकिल नहि लेल सब दिन रहे न एक समाना मुदा अनेक युवा कियैक नै घुमैत छथि? परिहारपुर चौक मुदा विजयकांतजी नहि - ओ राजनगर-बलहामे तकलाह? कतय ? फ़ोन करितथि लागल हेतैन्ही मीटिंग कोना होयत एतेक जल्दी अस्तु विकास के कहल पर्चा बांटू लोकके बजाऊ आ नुक्कड़ सभा जमि गेल "काल्हि जानकी नवमी जे मनायत से माताक फोटो लेथी?" सब चुप समय ट्रेनक होइत अछि विकास बाजल हनुमानक पूजाक अधिक्जरी कियो नहि छि डांटल एक भोगेन्द्रजी स्वीकार केलथी हुनका संयोजक बनावल कागजात देल विकास बाइक छोट रास्ता स धेलक - मंगरौनी एकदश रूद्र होइत-- समय नहि छल जे रुकी -- आब बहुत मकान बनि गेलैक अछि- २६.१०.१९९३ क ओहि रास्ता पदयात्रा भेल छल पंडित आद्याचरण झास भेंट सेहो दू दशकमें काफी परिवर्तन भेलैक नब नब मकान नवरत्नमे देखल डॉ ए के ठाकुरक हार्ट अस्पातल ओ कोचीनमें स्वर्गवासी भेलाह हाल में गेल छलथि उम्हर कोनो काजस हमरा परिचय नहि भेल कहियो लेकिन नीक काज केलाह मधुबनी बाज़ार गौशाला होइत स्टेशन फ़ोन कायल प्रमोदजीके - नहि लागल सुग्गू भाईस बात भेल आ फेर उदय जायसवालस मधुबनीमें एक कार्यकता प्रशिक्षण वर्ग हो रांची ट्रेन खा छल बैसलहूँ टीटीक सीट पर सकरी रूकल बहिनक डेरा १० मिनट पर चीनी मिल पाछाँ नहि जा सकलन्हू दरभंगा गाडी भरल फेर कियो चित्तरंजनमें भेटल गुणानंदजीके अनलक आ बगलमें चुटिया में हमर बैसार २०.१.२००८ क केने. हमारा याद नहि रहित अछि मुदा लोक के याद छनि भोर त हथिदहमें भय गेल छल काफी देरस रांची पँहुचल छलन्हू मुदा संतोष छल जे एक सफल यात्रा भेल छल विस्तृत लिखयमें देर भेल कारण जानकी नवमीक भेल बमकांडक समाचार प्रतिक्रया आदि में लागल रह्लहूँ आ फेसबुक समय काफी लय लैत अछि लाभ ओहिस समाज के कतेक हेतैक के जाने राजकुमारजीक बेटा चीनस ट्वीट केने छल समाचार पाबी से राजकुमारजी आई कहलाह लाभ छैक यदि ठीक स उपयोग हो एक दिन हमहू नहि रहब जनकपुरधाम में ५ वीरगति पओलाह मिथिला प्रांत बनी कयक रहत मुदा काज चलय आ मरय स अधिक जीबीकयक काज करक जरूरत छैक पद्मा में आई कमलकांतजी एखन पँहुचल छथि - मीटिंग भेलैक शोक प्रस्ताव सेहो जनकपुर बमकाण्डक शहीद लेल काल्हि भोरे प्रमाणपत्र देथिंह दू भागमें अपवादमें वर्ग होइत अछि आई डॉ. राजकुमारजी आ बैद्यनाथजीके कहने छलियैन्ही - की संयोग १६.१०.१९९४ क अकस्मात् कमलकांतजीक डेरा जयनगर हम पहिल बेर गेल छलन्हू आ रात्रि विश्राम भेल छल- भास्कर कोलकताके कहलियेन्ही एखन धर हम सब संग छि मुदा बीच में अबयाबला कई एक संग छोडी देलाह मुदा काज करक अछि संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज

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