Tuesday, May 22, 2012
Angika is dakshini Maithili(not eastern as ciil paper claimed); Bihar need east-west divisionnot north-south
Angika is dakshini Maithili(not eastern as ciil paper claimed); Bihar need east-west divisionnot north-south
It took me 32 minutes to discuss with Dr. Ashok 'Abichal' Jamshedpir who had his thesis after a survey of Maihtili's dialects and had presented me a book published over that also.
The topic is big yet to summarize we agree after a brief discussion of the CIIL paper ref: http://www.lisindia.net/Maithili/Maith_vari.html
a. it is biased to some extent at least for so called Angika and is not based on scientific facts.
b, it has tried to erect Angika as eastern dialect though tha tis a dilect of Maithili but of southern (south of Ganga- Bahglapur and Santhal pargana)
c, It is a malicious attempt to grab eastern Maithili under the ambit of Angika(to cut size smaller to Maithili)
d. Because the CIIL has not done any survey it has no right to establish a thing which is non-existent in the polace
e. George Grierson had told," The Maithili spoken in Purnea(now Purnea, Katihar, Araria, Kishanganj) may be called Eastern Maithili.
f. There is nothing as Thruhat in north-eastern but in north-western(above Champaran in Nepal mostly, onoly a strip Sera medrol is in India) the dialect has proximity to Bhaojpuri too but Maithili is close.(and Tharuhat areas in Nepal is being demanded as a state, those areas not in Biratnagar which may have influence of Kochilla
Hence a biased attempt has been made in this article by the ciil to gulp eastern Maithili to increase the area of so called Angika which is chika-chikhi of Grierson and I personally like to call that southern Maithili spoken south of Ganga.
It may be prudent to note that-
The use of Hame is a medieval tendency in the areas of Samastipur, Dalsiongsarai, Beguarai and is close to Standard Maithili(Grierson’s northern standard) and hence Grierson called that southern standard. Madhubani’s jolhas too speak Hamme.
Now all forms of Maithili as per Dr.Abichal is depending on the widespread use of Yau, Hau and Rau
People go for simplification- and hence Yau is limited to some elite class and Hau and Rau to he/re is becoming fast widespread and making the form of language one which is mixing its dilects specific to places, castes economic and educational strata etc. And used by over 70 per cent of Maithils from Madhubani to Begusarai and down with addition of ( in Chikha –chuikhi or Southern Maithili as per me) “Huni, Hini for Hunkar/ Hinkar.
Ebhak of standard becomes ebhu in Begusarai and is changed to ebhho in south to Ganga.
With the fast travel, matrimony from distant, seasonal migration to Punjab, Delhi etc,anmd influence of Hindi for over 100 years and of English in recent days, true we see a change in the dialects of Maihtili but nonetheless it is common to all other established languages too.
Maithili is an established language with definite dialects and its study needs focussed on various above factors some of which are strangulating the core of Mithili as well and it seems being in Bihar it is loosing its identity(in towns it has lost to a great extent) and hence a state of Mithila with its language Maithili is needed at the earliest.
These all are Maithili and let researchers establish my nomenclature of southern Maithili to Angika with already eastern and western dialects .
Eastern has some problem that Banngla is influencinn gthat but nonetheless that is not Angika area(Ang was at Munger which surprisingly the natives say they speak THETHI dialect in interiors ). The literary traditions of Angika is not known and culturally they are indistinguishable with Maithils and hence admitting the existence of Ang since epical days let us accept that it is a southern extension of Mithila and Maihtili and in this way we are honouring them not dishonouring and are stating a fact not any fiction . They are same as that of north of Ganga and with Naugachhia-Bhagalpur Ganga bridage we are coming closer and so will happen with Khagaria-Munger bridge and Sahebganj- Katihar bridge.
An East-west division of Bihar will be sound on linguistic and cultural line than noth-west divide.
Dr. Dhanakar Thakur
Spokesman,
Antarrashtriya Maithili Parishad
Saturday, May 19, 2012
संभव जे नेपाली मिथिला प्रान्तक सबके शुभ संवाद भेटय
मैथिली संदेशक ३३म अंक छपय लेल प्रेस गेल अनेक अवधानक बीच मुदा सीतागंज (फारबिसगंज) क २४म अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मलेनमे बंटत - एही अंकमे नेपालक मिथिला पर २ पृष्ठ सामग्री रहत बलिदानी अन्जुक फोटक संग आ युवकक उत्साह देखबैत
अधिक संभव जे ओहि दिन २६ मईक दुपहरमे जखन नेपाली मिथिला प्रान्त पर बात चलि रहल होयत हमरा सबके शुभ संवाद भेटय जे मिथिला आब राजनैतिक भूगोल पर सेहो आबि गेल अछि जकर स्वप्न देखैत अनेक पीढी गुजरि गेल आ हालमे अनेक युवा अपन बलिदान देलन्ही
संवाद दयबालाके कहलियेन्ही तहन अपना हाथे मिठाई खुवायब
मुहंक नाप नहि पूछने होई मुदा ओ सब धन्यवादक पात्र छथि जे आन्दोलनके मोकाम पर पहुंचौलाह - दूनू दृष्टिस गोष्ठी नीक होयत सफल होयत सफल रह्लन्हू त्यौहार असफल रह्लन्हू आत्मलोचानाक आ आक्रोशक - २७ तारीखक नेपालक नब संविधान आबि जेतैक
हमरा कहल गेल अछि नेपालमे मिथिला भेटत मुदा छोट
ई हम जनैत छि मुदा सर्वनाशं समुत्पन्नम अर्धं त्यजति पंडिताः
हम १० साल पहिले सोचैत छलन्हू जे मैथिली संदेशक ४० अंकक बाद यानी २ लाख प्रतिक वितरणक बाद नौकरी छोडि देब आ पूरा समय समाज लेल लगायब ओना बादमे हमरा ई लागल जे सिबाय स्वयम चुनाव लड़ी सब काज हम कैएये रहल छि आ फेर लागय लागल जे हमरा सन तुच्छ प्राणीक समयक ककरा जरूरत छैक- बहुत खोशामद्क बाद लोक शानियो रबियोक मीटिंगमे समय देताह;
ध्यान अबैत अछि एखन हालमे परिहारपुरक एक घटना - चौक पर एकके कहालियैन्ही कनी रूकू मीटिंग लेल
'नहि किछु काज अछि, एक ठाम भोज अछि'
कहिया धरि ई समाज भोज भातमे उल्झल रहत
ओना सब समाज एहिमे उल्झल अछि अपन ऐश्वर्यक प्रदर्शन लेल
आपसमें झन्झट कियो ककरो स कम नहि? जे नीक छथि से विवाह दान आ धर्ममार्गमे लागल यैह सब किछु!
ताहि पर अति वर्षा, अति गर्मी आ अति जाडक नाम पर मीटिंग नहीं होयत मिथिलामे आ फेर विवाह आदिक लग्नमे आ सब बाहरी संगठन सेहो एहेने काज मात्रके उद्देश्य बुझैत छथि आ नेता सबके विद्यापति पर्वमे माला दोपट्टा दैत अपन फोटो पर ध्यान कार्यकर्त्तामे अनेक के
हमरा सन मुहंफटके एतदर्थ एहेन मंचक दिन लेल आमंत्रण नहि भनही बादमे सब कियो बात मानय लेल तैयार
मुदा कियो नेता के भोजपुरी जकाँ मैथिलीक पक्ष्हूँ में उथल, मिथिलाक बात दूर
मिथिला राज्यक नाम पर सांढ़के लाल कपड़ा देखब जकाँ आ बात करताह विकासक उलहन देताह. हुनका कहाँ मालूम छनी जे बिहारक पॉवर प्लांट नीतीश बना रहल अछि बाढ़मे आ नवीनगर गयामे, सब उच्च संस्थान खुलल पटनामे, केन्द्रीय विश्वविदालय तकके कोर मिथिलामे बात नहि उठल
फसबूक आ मेल ग्रुप पर मैथिल रुबाई, ग़ज़ल गौताह , रसिकपन्हूमे विद्यापतीय अवतार सेहो कहाँ देखय छि?
आब मैथिली संदेशक केवल ७ अंक आ २२००० प्रति रहि जायत जे की पाचम अंकमे पूरा भय जायत
आब हमरा लेल नौकरी व कमाइक कोनो ख़ास मतलब नहि रही गेल अछि- कियो हमरा पर आश्रित नहीं छथि
मुदा अपन स्वास्थ्य कहियो हमरा आश्रय ताकय लेल बाध्य कय सकैत अछि
लगैत अछि जे हमर कथन जे जन्म बिहारमे भेल मुदा मरब मिथिलामें
की एही लेल ओहि पार टपय पडत?
वा उमहुर्का लोकस प्रेरणा लयक एम्हरो युवक बीड़ा उठोताह?
लिखलियेन्ही जे उम्हरो लेल हम किछु ख़ास नहीं कय सकलहूँ - चाहे जे हो नौकरीक बंधन होइते छैक
उत्तर आयल- प्रेरणा दैत छि सैह बहुत
ई शालीनता कहानी हुनका सबके
प्रेरणा हमसब ग्रहण करी हुनका सबहक़ मिथिला लेल बलिदान आ ओकर पाहिले आ ओकर बादक कर्मठता लेल
देखि की १४ गते (२७ मई)क मिथिला में दीवाली मनी पावत- ओना ओ अरण्य षष्ठी दिन अछि
नहीये भेल तखन अरण्यरोदन नहि इम्हर आक्रोश जरूर होयत आ उम्हर बंद वा ने जानी की सब जाही लेल उमहुर्का पाहूनके सत्र २६क दूपहरेमे करा हमसब बिदा कय देबैन्ही - ओना फारबिसगंज आ बिराटनगर मनो एकबधुवे जकाँ आजुक युगमे गाडीस
यदि एहेन भेल तहन उम्हर दीवाली होयत आ इम्हरो जाही लेल कहियो डॉ लक्ष्मीकान्त झा आ इम्हर अंजू आदि टेमी लेल अपन देह उत्सर्ग केलन्ही अछि
Tuesday, May 15, 2012
अनावधानमे गांडवीश्वर स्थानमे भेल कार्यक्रम
अनावधानमे गांडवीश्वर स्थानमे भेल कार्यक्रमगांडवीश्वर स्थानमे आई २९म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर संपन्न भेल जाहिमे अध्यक्ष डॉ कमलकांत झा द्वारा २७ प्रथम वर्ष आ २ द्वितीय वर्षक प्रतिभागीके प्रमाणपत्र देल गेलैन्हि हम प्रथम दू दिन छलन्हू आ एहि तीर्थक स्वर्गिक आनद लयक गर्मीमें लौटल छि ई एक संयोग छैक जे ई वर्ग ओतय भय गेल जाकर इतिहास मिथिला दर्पणक एक अंकमे हमर वेब पर लिखल मिथिला सर्किट लेख अछि जाहिस सामग्री लयक अनेक फोटो जोड़ी संपादक हमरा नामे छापि देलन्हि हमरही सामग्रीके ओहि बहुचर्चित लेखमे हम गांडवीश्वरस्थानक नाम लिखने जरूर छालन्हू मुदा हमरा काल्हि चकौती गामक एक मैथिलस मालूम भेल जे हम २६ मई १९९४क लखनपुरस चकौती अयबाक मार्गमे गंगेश्वरस्थान होइत रातिमे गेल छलहूँ गांडवीश्वरस्थान नहि जकर भान हमरा गांडवीश्वरस्थानमे पूछला पर जे चकौती कतेक दूरस भेल छल जखन ओतय सब कहलाह जे इम्हर ओ गाम नहि अछि संयोग ओतबे नहि . मिथिला दर्शनक ओहि अंकमे हमर मोबाइल नंबर छपल छल जे देखि ओतुक्का पंडित शम्भुनाथ झा २९.७.२०१ क बात केलैन्ही जे एक बेर आऊ हम कहलीयेन्ही एक कैम्प कराऊ तखन ओ दुर्गापूजाक बाद लेल तैयार भेलाह हुनक नुम्बर हम डायरीमे ८८०९८८००६२३ लिखी लेलंहू आ बादमे करय काल मालूम भेल जे ११ अंक भय गेल - बहुत जोड़ घटाव केलन्हू मुदा नम्बर नहीं लागल (८८०९८००६२३) जनवरी ४, २०१२क एक पोस्टकार्ड लिखि पुजारी गांडवीश्वरस्थान नामे भाया बेनीपट्टी खसावल मुदा ओकर जबाब नहि भेटल अकस्मात् ४ मई २०१२क एक आदित्यनाथ मिश्रक फेसबूक पर फोटो गांडवीश्वरस्थानक देखल आ पूछि देल जे गांडवीश्वरस्थानक कोनो मोबाइल नंबर हो त लिखी आ ओ लिखलाह गाममे छि ओतय जायब तखन लिखब आ ५ मईक हुनक एस एम् एस आयल पंडितजीक नंबर बात केलंहू दोसर पंडितजी छलाह त्रिलोकजी मुदा कैम्प लेल तुरंत तैयार १२ मईक उदघाटन आ १५ मईक समापनक बात भेल सब विषयवस्तु बतावल फेर अध्यक्षके फ़ोन जे ओ १४-१५ रहथि ओ कहलाह ई ताराबाबुक गाम अछि ताराबाबुक अनुज अयोध्याजीस बात भेल ओ अनेक नंबर देलाह आ सबस बात भेल ओहि फेसबुक बालक आदित्यस फेर बात नहि भेल ( आ बजौला पर १३ क ओ जरूर अयलाह हमर लौटबाक समयमे मुदा कैम्प मे भाग नहीं लेलाह जखन की हुनका चलते जे ओ ३ जून तक गाम छथि हम गर्मी रहितन्हू तुरंत कैम्प रखने छलहूँ फेसबुकस संगठन नहीं बनैत छैक ई हम बेर बेर कहैत छि लिखैत छि फेसबुकक चलते प्रचार आ संपर्क जरूर होइत छैक ई वर्ग जरूर भय गेल ओकर अनुसार मुदा अनेक कार्यकर्ता बनितहूँ फेसबुकबला शिविरमे शिक्षित नहीं भेल हम कहलियैक जे अहाँक चलते शिबिर भेल मुदा धन्यवाद ज्ञापनमे नाम छूटि गेल तखन ओ अयलाह जरूर शिबिर काफी नीक स्तरक भेल पहिल आ दोसर दिन श्री अशोक चौधरी आ श्री अयोध्यानाथ झा मुख्य अतिथिक रूपमे अयलाह , दूनू श्रेष्ठ व्यक्ति संत कुमार चौधरी, जयपुर आ पंडित ताराकांत झाक अनुज मुदा अपना आपमे श्रेष्ठ व्यक्तित्व मधुपुरमे मैथिलक बैसार अलग भेल आ हमरा संगमे यात्रा करैत घनश्यामजी कतबो कहला पर आरक्षणक पाई नहि लेलाह ओ कोल्कतास आरक्षण करबा लेलाह आ अपन बोलेरोस मधुबनीस बेनीपट्टी लयक गेलाह बेनीपट्टी गाममे सेहो एक पोखरी कातमे भगवतीक मूर्ति देखल आ एक छोट बैसारमे जनकपुरधाममे भेल शहीद लेल मौन राखल गेल झंझारपुरस युवा साहित्यकार आनंद आबि गेल छलथि- एही रास्ता पर हम १९९४ मे साइकिल बसैठ तक चलने छलन्हू सीतामढ़ी तक ओही मार्ग पर मिथिला आन्दोलन विषयक कार्य करब आवश्यक अछि भूख लागल छल बसैठ चौक पर भुजा खरीद के अनलाह जाहिमे काँच मिरचाई छल जे आब हम ई बुझी खाय लगास्लान्हू अच्छी जे एहिमे antioxident रहैत छैक आ एक शोधक मुताबिक़ गैस्ट्रिक श्रावके कम करैत अछि सीतामढ़ीक बसस गांडवीश्वरस्थानक मोड़ पर गेलहुं मुंहमे बहुत जोरस मिरचाई लागल जतय राजकुमारी ताराकांत आइ टी आई प्रस्तावित अछि ओकर अगिला मोड़ पर मंदिरक लेल उतरल हूँ भयंकर रौदमे झुल्सित मकई भुजा खेत मिर्चाइक जलन के कम करैत स्थान पर अयलान्हू आ लोकक स्वागत देखि सब किछु बिसरी गेलंहु प्रसाद क नाम पर भोज न अतिस्वादु भेल आ फेर बडक गाछ नीचा बैसार आ फेर वर्ग प्रारंभ जय जय भैरवीस - मिथिला राज्यक माहौल भय गेल अशोक चौधरीजी काफी नीक बजलाह अनेक गणमान्य व्यक्ति अगल बगलक गामस फेर दोसर सत्रमे हमर स्वास्थ्यक ऊपर भाषण आ अंतमे गीता पर प्रवचन(अपन मैथिलीगीताक आधार पर) लोक जमिके सुनैत रहलाह से बादमे आनंद बजलाह नीक छल अयोध्याजी फोन केलन्ही कोना की रहल पैखाना लेल खेतमे बहुत दिन बाद गेलंहु जे आब यदा कदा एहेन कैम्प वा गाममे होइत अछि रातिमें फेर प्रसाद आ यज्ञमंडपमे शयन - मछरदानी छल राति सोलर लैम्प जरैत आ ऊपर आकाशमे अर्धचंद्रक मनोहारी छटा लग्घी लेल उठी काफी नीक लागल चांदनी देखि राती सोलर लंप जरित आ ऊपर आकाश में अर्धचंद्र क मनोहारी छाता लग्घी लेल उठी काफी नीक लागी चांदनी देखि गर्मीक राति मनोहारी होइत छैक भोर चारिस मदिरमे बोल बम.. आ तैयार भेलन्हू संध्या, तर्पण, पञ्चदेवता पूजाक बाद अर्गला आदि पाठक बाद मंदिरमे प्रवेश जतय कहियो अर्जुन अपन गांडीव रखने छलाह वा पाशुपतास्त्र पौने छलाह ओहि भोलेनाथस गांडवीश्वरक बारेमे एक कहलाह जे कोनो दू भाईमे एक दोसरके निःसंतानी कही मजाक केलक - ओ बाबाधाम गेल ओतय बाबा कहलखिनह जो अपना गाम ओतय हमर भाईक रूप अछि गांडवीश्वरक ओ ओकर पूजा केलाह आ बुढ़ारीमे विवाह भेलैन्ही आ सात बेटा जिनक सात टोल शिवनगर आदि मुदा ओहि पहिल भाईक संतान नाम पर एक छोट घरमे कहल जैत छैक जे गौरीशंकरक दोसर लिंगमे तीन मणि देखएत अछि झरोखा बंद केलन्हू पर आ जखन ओहि नीचा गढ़ामे लिंगमे पानि आबि जायत छैक गामक लोक नून तेल जमा कयक बाढी लेल तैयार भय जाइत छथि (एहने कथा गंगेश्वर लेल सेहो चकौती बला बतौलाह गांडवीश्वरक जकाँ ओतहु कथा छैक जे किनको वृद्ध अवस्थामे संतान भेलैन्ही बाबाधाम क आदेश पर ओही शिवलिंगक पूजास ) लगैत अछि हमर भूल प्रमादवश हो तथ्यमे दूनू बाबा एकंही छथि खूब फोटो डिगिटल कैमरास लेलंहू आ फेर सत्र प्रारंभ कार्यकर्म कोना करी आ सामाजिक समरसता पर अयोध्याजी अयलाह आ ओ बजलाह कोना १९७१मे पटना इंजीनियरिंग कोलेजमे मैथिलीक पढौनी करौलाह आ कोना निखिल मैथिलीभाषी छात्र संघक कार्य अनेक वर्ष तक भेल- कोना पहिल प्रदर्शन मैथिली लेल पटनामे आन कोना काज .. कोना १९८१स जानकी नवमीक गाममे आयोजन पटनाक विद्यापति पर्व देखि मुदा हुनका सेहो मैथिली काज लेल प्रेरणा देबबला एक शिक्षक विद्यालयमे महेश्वर पाण्डेय, एक भूमिहार (हमरा सेहो मैथिली काजस एक भूमिहार राम इकबाल सिंह विनीत जोरलाह १९९२ में) नीक भोजनक बाद हुनक घर जेबाक बात कहल - हुनक भतीजी हमर भौजी.. गाममे हुनक मकनक रास्ता मे देखल बिभूति आनंदक मकान जिनक सासूस हाल में परिचय भेल अछि आ १२ मईक बात केने छालान्हू जे अन्हांक समधियानीमे छि ताराबाबु गाममे अस्पताल सेहो बनाउने छथि आ एक एक रोड पीच वा आर सी सी के अयोध्याजी बंद घरक ताला खोलावलाह आ कहलाह जे ओ बेनीपट्टी केन्द्रित काज करैत रहलाह किछु देर रहि फेर एक कार्यकर्ता छोडलक रोड पर टेम्पोस चंदौना ओतय दरभंगाक टिकट भेटल गर्मी काफी एक छोट किछु मॉस क बच्चाके हँसैत देखि साहस भेल ट्रेनमे एक फैसनेबुल युवा महिला के अपन पतिस हिन्दी\मे बात करैत देखल यद्यपि उम्हर लोक मुख्यतः मैथिली बजैत अछि जोगिअरामे नहि भेटल एक सहयात्रीक कथनानुसार कमतौलमे रांचीक सीधा टिकट भेटी गेल आ दरभंगा में कोल्कता एक्सप्रेस ठाढ़ बहिनीक घर नहीं जा सकलहूँ सुविधास यात्रा भेल समस्तीपुर- बरौनी आ फेर सिमरियामे गंगा माइक कोरामे एक महिला के देखि बुझल जे ओ हिन्दू छथि हमहूँ हाथ पाकिटमे देल पांचक सिक्का आयल लागल बेशी अछि छोट सिक्का परन्तु फेर लागल जे आयल सैह धर्मभीरु जकाँ आ फेकल पूरा भारत मे हम सिक्का फेकने देखाल्नु अछि रेलवे पोर्टरक परिक्षा दयक लौटेत जमुइक एक गामक बासी मुदा देवघरमे रहैत एक लड़काके कहल -“ लक्ष्य ऊँच राखय सब परिक्षामे नहि बैसय अपन योग्यताक अनुसार लक्ष्य बनाबय “ ओकर पिता छल दारोगा ओकरा पोलिसमे नीक आदमी दरोगा पद पर हो तैयो बदनाम मुदा पोलिस कोना सुधारत अपनाके भागलपुर सेहो परिक्षा केंद्र डर भीड़स मुदा ओतेक नहि देखल किउल में अचानक गाडी रुकल कियो वैकम केने छल वनांचल बगल में छल उतरि गेलंहु जगह नहीं भेटल ठाढ़े-ठाढ़ एशिया अन फूट पढैत रह्लन्हू किछु दूर बाद बैसयके आ जसीडीहमे एकसीटा ओहि पर पढैत किताबमें सिंगापूर, मलयसिया आदिक बारेमे कलम दोसर स लेल संशोधन लेल अपन छुटी गेल छल पोथी ख़त्म भेल एकसीटा पर सुतैत भुजा बसैठक बांचल आ फेर खरीदल चुरा खायल मिरचाई सेहो बांचल छल चित्तरंजन पानि पीअल आ फेर धनबाद बोकारो पता नहि कखन गेल भोर रांची दोसर वनाचलस हतिआ आ सडक पर एक मैथिल शिक्षक कारस डेरा ई भय गेल हमर १२२ म मिथिला जागरण यात्रा कमलाकांत जी काल्हि गेलाह वर्गमे आ नीक दूनू दिन सत्र आप्रमाण पत्र वितरणमे फेर अशोक चौधरीजी आयल छलाह - कहू कोना भय गेल ई कार्यक्रम अनावधानमे
Saturday, May 5, 2012
२८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा- संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज(हमर १२१म मिथिला जागरण यात्रा )
२८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा- संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज(हमर १२१म मिथिला जागरण यात्रा )
एकर मुख्य उद्देश्य छल जे २८म मैथिली कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर पद्मा गाम( लदनिया लग) में हो ओना ओहि कैंपक आयोजनक एक और कारण छल जे बलहा, राजनगरक मुंबईमें मैथिली दर्पणक प्रबंधक संजय झांक बेटाक जनयूक रातिममे भाग लय सकी आ जेबाक अछि त किछु काज हो होई लेल इ दूनू य गेल आ ऊपरस सीबिपटटीमें हमर एक पारिवारिक कार्य आ बेल्हवाड़में एक युवास संपर्क आ फेर परिहारपुरमें एक नुक्कड़ सभा आ ओतहु मनि गेल दोसर दिन भोगेन्द्रझाजी द्वारा जानकी नवमी जेना सहयात्री गुणानदजी मना लेलाह धनबाद में - दू निठाह अपरिचित द्वारा आ जोरल जाय पद्मा के त तीन ठाम जानकी नवमी एहि यात्राक उपफल रहल वा मुख्यफल से कहनाई कठिन
ओना नहि भेल त बलहामें मैथिली सभा जखन की हम हुनक आमंत्रण एही शर्त्त पर मानने छलियेन्ही
ओ कहैत छलाह जनेऊ दिन आबी मुदा हम ओहि लेल छुट्टी लेब नहि चाहैत छलन्हू जकर उपयोग सामाजिक कार्य में हम (यानी संगठनात्मक कार्यमें करैत छि, ओना जनेऊ सेहो एक महान सामाजिक कार्य छैक)
पद्मा हम ६.१०.२०११ क पूजाक माहौल में एकाएक चलि गेल छलन्हू जखन झंझारपुर क्षेत्र में घुमय लेल बाइक क व्यवस्था नहीं भय सकल छल आ महुलियाक रमेश कामत कहलक आबी आ फेर घनश्याम ठाकुर दिल्ली सेहो पद्मा में छलाह नीक बैसार क बाद निर्णय छल जे एक कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण शिविर ओत हो आ एक बेर तय तारीख स्थगित सेहो भेल छल मुदा एही बेर रामावतार यादव गछ्लाह शाशिबोधजी आ कमलेशजी सेहो आ अंतमें घनश्यामक पिताजी बैद्यनाथ ठाकुर सब सूचानादिक काज संयोजक नाते
चित्तरंजनमें अनवधान भेटल गुणानंदजी दरभंगा उतारी गेलाह आ जयनगरमें वापसी आरक्षण बहुत झंझटक बाद भेल सेहो कन्फर्म नहि
कमलकांतजीक मोन ख़राब भेलैन्ही आ कपिलदेव कुंवरक आपरेशन २ दिन बाद तैं नहि गेलाह
हम सीधा बस स्टैंड छोट बसक छोट सीट पर एक मोट मैथिलानी शायद मुखिया कतहु के कहलियेन्ही अहाँ महिला सीट पर जाई मुदा कहलीह 'हमारा अंतर नहि पडैत अछि. मुदा हमरा अंतर परे छल असुविधा होइत कसमकस
ओकर पाछाँ सीट पर सामान राखल खाली पेट तरबूजा आ खीरा २५ टाकाके खायल बस साढ़े ११में खुजल आ १० किलोमीटरक यात्रा घंटा भरिमें केलक रोड खराब बतबैत बिहारक विकासमें मिथिलाक स्थान नहि
रास्तामें कमलाबाडी आ और किछु गाम जिम्हर १७ .१०.१९९४क साईकिलस घुमल छलन्हू - बादमें कमलकांतजीक प्रभावस कार्यकर्त्ता बनलओही रास्ताक बेला मक रामानंद ठाकुरजी (१९१९- ३०.१.२००९) कहने छलाह ओही रास्ताक अनेक लोक हमर याद करैत छलाह ओही घुमानक कारण
काफी गर्म समय आ चौक पर उतरि बैद्यानाथ्जीक घर गेलंहु आ स्नान संध्या तर्पण पूजा बाद हुनक भोजन आ फेर हुनक कक्कास किछु ज्ञान मिथिलाक बारे में ओ नेपाली मिथिला सिरहामें रही पंडिताई करैत छथि
तीन बजेक समय छल मीटिंगके ओकर पूर्व रामावतार यादवजी आबि गेलाह किछु देर बात भेल
फेर हम सब डॉ राजकुमार झाजीक डेरा गेलहुं बात अनेक भेल
पद्मामे महाकवि विद्यापति अपन यौवनक समयक अनेक रचना केने छथि
आस पास उत्खानन हेबाक चाही आदि आदि
फेर महावीर मंदिर अयलान्हू आ कार्यकर्ता प्रशिक्षण नियत विषय सब पर भेल असगरे छाल्नु एहि हेतु सब विषय कनी कनी रखल
मिथिलाक विकासक एक एक कारक पूछ ला पर गोष्ठीमें
बैद्यनाथ ठाकुर - यातायातक दुर्गमता
इंजीनियर रंजन राजू- अस्वास्थ्य स्थिति
विजयकांत मिश्र - संगठनक अभाव
नारायण पासवान- आपसी प्रेमक अभाव
काशीकांत झा- बिजलीक अभाव
रामावतार यादव- अशिक्षा
जगन्नाथ मिश्र- संगठन आ मार्गदर्शनक अभाव
शोभाकांत ठाकुर- पिछड़ापन दूर हो
सीताराम यादव- संस्कृतक पढाई हो
उत्तिम कामती- भक्ति भजनमें कमी सभ्यता में कमी, झूठ फूट बजैत आ लोकमें नैतिकताक अभाव
कुल २६ गोटा प्रशिक्षित भेलाह
डॉ. राजकुमार झांक गामक हर वर्गक लोकस प्रीती देखि लागल जे ओ आदर्श छथि खास कयक हुनक पिता सेहो ओतक बडका जमींदार छलथि स्वयं चौक पर एक मैथिल कामती के सन्देश दोसर दिन लेल देल्खिंह आबय लेल
ओ सबस बेशी पैघ विद्वान् (रांची विश्वविद्यालयक राजनीति विभागक अध्यक्ष रहल) आ हस्तलिपि सबस नीक
मुदा दूनू भाई के विचार नीक आ दस्तखत तक एक समान मानो ओहूमें आनुवंशिक प्रभाव हो
गोष्ठी चलल साढ़े १० तक
गोष्ठी चलल साढ़े १० तक
एक बस दौड़ीके धरल
जयनगर
फेर कलुआहीक चिन्हल जानल चौक
बिना रुकने करमौली होइत डोकहरक रास्ता देखैत शिबिपट्टी
अपन पारिवारिक कार्य लेल
फेर १ किलोमीटर चलि रौद में बेल्ह्वार मोर
परिहारपुर उतरि बलहा दिशी
एक दोकान पर छोट बछा स पूछल की बजैत छि- मैथिली
कतय रहैत छी - मिथिला में
एखन हमर संस्कृति जीवित अछि
तीनू के टॉफी खुवावल
जे संजयजी मुम्बईक मोबाइल बंद रहन्हि तीन दिनस हुनक दोसर लोकल स फोन पर जान में जान आयल
एक बाइक लयक लें लेल अयलाह
हुनक बेटा आ भातिज मिला तीन बरुआ
आशीष देल
संजयजी क दादाजी सेहो जीवित छथिन्ह
प्रपौत्र दर्शी न नरकं गमेत
आशा अछि ओ ओकरो संतान देखथी
चुडा - दही संग ६ मिठाई (बाद में तकलीफ रांची लौटाला पर बासी मिठाई चलते भेल वा गर्मी चलते कहनाई कठिन)
विकासजी बाइकस छोडय
शिबबाबू क मकान देखल
पंकज नहि छल हुनक पिता भेटलाह
फेर कहियो
९.१०.२००८ क राजनगरस हुनक गाममें घुसि वापस भेल छलहूँ
खराब रोड़ाबला रोड पर एक दिन पूर्व जरैल स नागदह- बलाइन - मधुबनी होइत कोइलखक यात्रामें घुटनाक जोड़में घिसाब भय गेल छल
बलहा घुसी वापस भय धुरियान ट्रेनमे साइकिल लादि जयनगर गेल छलन्हू तकर बाद साइकिल नहि लेल
सब दिन रहे न एक समाना
मुदा अनेक युवा कियैक नै घुमैत छथि?
परिहारपुर चौक मुदा विजयकांतजी नहि - ओ राजनगर-बलहामे तकलाह? कतय ? फ़ोन करितथि
लागल हेतैन्ही मीटिंग कोना होयत एतेक जल्दी
अस्तु
विकास के कहल पर्चा बांटू
लोकके बजाऊ
आ नुक्कड़ सभा जमि गेल
"काल्हि जानकी नवमी जे मनायत से माताक फोटो लेथी?"
सब चुप
समय ट्रेनक होइत अछि विकास बाजल
हनुमानक पूजाक अधिक्जरी कियो नहि छि डांटल
एक भोगेन्द्रजी स्वीकार केलथी
हुनका संयोजक बनावल
कागजात देल
विकास बाइक छोट रास्ता स धेलक - मंगरौनी एकदश रूद्र होइत-- समय नहि छल जे रुकी --
आब बहुत मकान बनि गेलैक अछि- २६.१०.१९९३ क ओहि रास्ता पदयात्रा भेल छल पंडित आद्याचरण झास भेंट सेहो
दू दशकमें काफी परिवर्तन भेलैक
नब नब मकान
नवरत्नमे देखल डॉ ए के ठाकुरक हार्ट अस्पातल
ओ कोचीनमें स्वर्गवासी भेलाह हाल में गेल छलथि उम्हर कोनो काजस हमरा परिचय नहि भेल कहियो
लेकिन नीक काज केलाह
मधुबनी बाज़ार गौशाला होइत स्टेशन
फ़ोन कायल प्रमोदजीके - नहि लागल
सुग्गू भाईस बात भेल आ फेर उदय जायसवालस मधुबनीमें एक कार्यकता प्रशिक्षण वर्ग हो
रांची ट्रेन खा छल बैसलहूँ टीटीक सीट पर
सकरी रूकल बहिनक डेरा १० मिनट पर चीनी मिल पाछाँ
नहि जा सकलन्हू
दरभंगा
गाडी भरल
फेर कियो चित्तरंजनमें भेटल गुणानंदजीके अनलक आ बगलमें चुटिया में हमर बैसार २०.१.२००८ क केने.
हमारा याद नहि रहित अछि मुदा लोक के याद छनि
भोर त हथिदहमें भय गेल छल काफी देरस रांची पँहुचल छलन्हू मुदा संतोष छल जे एक सफल यात्रा भेल छल
विस्तृत लिखयमें देर भेल कारण जानकी नवमीक भेल बमकांडक समाचार प्रतिक्रया आदि में लागल रह्लहूँ आ फेसबुक समय काफी लय लैत अछि लाभ ओहिस समाज के कतेक हेतैक के जाने राजकुमारजीक बेटा चीनस ट्वीट केने छल समाचार पाबी से राजकुमारजी आई कहलाह
लाभ छैक यदि ठीक स उपयोग हो
एक दिन हमहू नहि रहब
जनकपुरधाम में ५ वीरगति पओलाह मिथिला प्रांत बनी कयक रहत
मुदा काज चलय आ मरय स अधिक जीबीकयक काज करक जरूरत छैक
पद्मा में आई कमलकांतजी एखन पँहुचल छथि - मीटिंग भेलैक शोक प्रस्ताव सेहो जनकपुर बमकाण्डक शहीद लेल
काल्हि भोरे प्रमाणपत्र देथिंह
दू भागमें अपवादमें वर्ग होइत अछि
आई डॉ. राजकुमारजी आ बैद्यनाथजीके कहने छलियैन्ही - की संयोग १६.१०.१९९४ क अकस्मात् कमलकांतजीक डेरा जयनगर हम पहिल बेर गेल छलन्हू आ रात्रि विश्राम भेल छल- भास्कर कोलकताके कहलियेन्ही एखन धर हम सब संग छि मुदा बीच में अबयाबला कई एक संग छोडी देलाह
मुदा काज करक अछि
संगठनक मर्मस अनभिज्ञ अछि मैथिल समाज
Vajjika ( or Angika) or- Vrijjakiy' and 'Aangikiy are 'Western and Southern Maithili
Vajjika ( or Angika) or- Vrijjakiy' and 'Aangikiy are 'Western and Southern Maithili
Read Linguistic survey of India by George Grierson- Muzaffarpur speaks western dialect of Maithili( there are two variations of that in north- Seetamarhi- Sheohar as
तोहर भाई जे मर गेल रहलौ से जीलौ ह
and in sothern parts (Vaishali etc.) as
तोहर भाई जे मर गेल रह्ठुं से जी गेलथुन
Grierson says-(page 13)--Maithili or Tirhutia is , properly speaking, the language of Mithila or Tairbhukti(the ancient name of Tirhut)...
It this includes the British districts of Champaran, Muzaffarpur and Darbhanga as well as the strip of Nepal Terai which runs between these districts...
The districts of Muzaffarpur and Darbhanga originally formed one District called Tirhut and that name is still used..
At the present day(1902) , the language of the greater portion of Champaran is a form of Bhojpuri and not Maithili, but with that exception, Maithili is spoken over the whole of this tract.
Page 14...
The Maithili spoken in the Muzaffarpur district(now Sitamarhi, Sheohar, MFP, Vaishali) , and in a strip of country on (w)estern side of Darbhanga is strongly influenced by the neighbouring Bhojpuri spoken in various forms in the adjacent district of Saran an din the greater part of Champaran. So much is this the case , that, a spoken by some people , it is difficult to say where the dialect is Maithili or Bhojpuri. It may be called Western Maithili.
THis is the linguistic position. I am a student of science and go by references. Though there is nothing linguistically vajjika ( or even Angika- both words are also slang they should be as per a great etymologist 'Vrijjakiy' and 'Aangikiy.'
I prefer to call those as Western and Southern Maithili.
Regarding the state movement in which I am more concerned, I will be happy if those areas do come in the state of Mithila though they would decided it - the consequences for them remaining in Bihar is grave(a matter of long article),
Posterity should not blame me (and our organisation Antarrashtriy Maithili Parishad) that we left them in lurch ..in the hands of the progeny of Jarsanadhs..
The choice is theirs choose the land of Jaanki or Jarasandh!
The economic and social and industrial consequences would be grave for them (if they do not come in Mithila).
Remember there is no minimum area fixed for any statehood and Mihtila would get it owing to the protracted struggle of nearly a century which is lacking in so called Ang or Vrijji region.
However, the state language of Mithila would be Maithili and will not be compromised for any area - though the dialects may get promotional package( toget Akademi awards under Maithili category and even separate commissionaries Vrijji and Ang may be delineated where those dialects can be allowed to be used for governmental announcements, etc. Which they are not going to get in Bihar and will get a’ linguicidal’ treatment there from Hindi , Magahi and Bhpjpuri).
I use to say, “Any dialect becomes a literary language after several centuries of literary labours and tradition.”.
I wish you do it as I am a lover of ancient traditions and have perfectly national outlook, ideologically groomed in great traditions but decision would be theirs which we would accept once we are on the negotiation table with Govt. of India as well as Govt. of Bihar.
I would be glad to talk with those groups espousing the cause of Ang and Vajji (had some talked with ang groups in past) but le tme say that their approach is not having scientific , cultural or logical base and that would not be tenable in long rum.
I remember in 2004 at Muzaffarpur(which we resolved to call Khudirampur) local MLA Bijendra Choudhary spoke in favour of Mithila state ,if capital was given them(as per Dr. Laxman Jha's book) however that bargain would depend on the intensity of the Mithila movement and is unpredictable at the moment.
I f any question, I would be happy to reply.
Sorry i do not like writing in English but I cannot type fast in Devnaagri and have little time always compared to monumental writing , organisational and professional commitments.
Dr. Dhanakar Thakur
Spokesman,
Antarrashtriya Maithili Parishad
Tuesday, May 1, 2012
दोहरा संयोग भेंटक आ धनबाद में जानकी नवमी bhay गेल पंडित गुणानंद झा द्वारा
दोहरा संयोग भेंटक आ धनबाद में जानकी नवमी bhay गेल पंडित गुणानंद झा द्वारा
२७ अप्रैल २०१२ क चित्तरंजन स्टेशन पर बैसल भोजन रात्रिक के रहल छलन्हू - जयनगर लेल ट्रेन पकडक छल
बगल में एक दोती कुर्ता टीक तिलक बाला
मैथिल छथि के इ छपरा क ट्रेन लेतः/
ओ बगल में बैसल एक वृद्धा स बात कराय लगलाह जे पर्जुआरिक
मों भेल अपन परिचय दी जे हमर काकी ओतुक्का
मुदा चली गेलीह एक कियो परिचित क संग मुदा हुनक हुनका जमाना क सस्ती आ एखुनका रुपयाक अवमूल्यन याद रहत
भोज्नोपर्रांत हम पंडित जी स पूछल गम?
नवकढी i
एकाध नाम लेल संजीव के नहीं चिनाहित मुदा अतरौल्किक मिथिलेश जी के चिन्हित
क्लागल मिथिला एक्सप्रेस पक्लाडी दूनू गोटे दौरलान्हू
मुदा मिलिटरी बाला बोगी नहीं खोललक
बैसी के मैथिलि-मिथिलाक कागजात आ माता जानकी क चित्र देल जे लौट के धनसार मंदिर में जानकी नवमी क माना ली आ अध्यक्ष धीरेन्द्र झा आ मिथिलेश जी स बात करावल
गंगासागर आयल आ आराम स यात्रा भेल
जसीडीह में एक मैथिलक जिद्दा जे हम धोतीक पालथी मोडी ली पर नहीं तैयार भेलंहू - सामने ६ आ एही पर ४ हम सब पहिनहि स छलन्हू आ हमरा लेल सामने बाला कस्ट सब कस्म्कस्मे जैत मुदा ओही मैथिल के शरीर सेहो दोहरा फ्रेम क बैसेबाक मतलब राति भरिक कास्ट
ताहू पर हुनक अधिकार युक्त बोली?
सामने गेलाह अपन सामान पर बैसलाह नीचा मुदा दरभंगा उतरे तक कोसैत रहलाह हमरा
अनो हुनका अन कथु ककरो पर दबी नहीं
हम मुस्कुराईट रह्लान्हू- गीतक इछु अध्याय देखैत परहित
दरभंगा में पंडित जी गेलाह
सियालदह स सीट अनाय्बाला बालक सब खुश छल जे हम हुनका बैसे नहीं देल
ओहो सन मधुबनी उतरलाह
हम जयनगर आ वापसी अआरक्षण लेल लाइन में - बिना लाइन के टिकट बला पर बिगर्लान्हू फोटो लेल जे अफ आई आर के देब तखन १०३० बजे तक टिकट भेल
पद्मा क कंप के सिबिपत्ति- बलहा - मधुबनी में ट्रेन
टिकट कन्फर्म नहीं भेल
टी टी ई क सीट ७ पर बैसलान्हू
गाडी दरभंगा में पूरा भरी गेल एक yuvak आबी कहलक हटी जाई
लागल कोना सीट भेटलिक ओकरा
तैयो , कोनो बात नहीं हटी जायब
ताबत ओ पंडित गुनानद जी के ले क आबी गेल
लिय की संयोग
ओकरा ओ बतावल ई छथि डॉ ठाकुर उम्हर बगल क सीअत बाला अपन संग एक वृध्हके हमर परिचय देलाठी आ कहल जे चुटिया बैसर में छलथि (२०.१.२००८ क)
टी टी आयल - जाइए हम सोयेंगे
हमर टिकटदेखि कहलक दुसरे टी टी को पैसा देकर बात करें
पछा गेलंहु अंततः पचास टाका देल बरेथ लेल
लौटेत छी टी पंडित जी नहीं
अपन बैग ले बतावल बोगीमे
नीक लागल जे हमर एतेक मेहनत क बाद चलल (आ बहुत आन मैथिल क मेहनत बाद में सेहो० ट्रेन भरल achhi कहियो सोचैत रहित छलन्हू कोना भरतैक जहिया पहिल बेर विशेष ट्रेन वेट लिस्ट भेल्क छलैक ममता के फाक्स केने छलियैक कम्प्प्यूटर पर स निकाली
भोर भेल सिमरिया में दुपहर में रांची
जानकी नवमी भेल
आई पूछाल गुणनद जी स
कहलाह हमरा एस वन में पठा देलक आ काल्हि जानकी नवमी धनबाद में मनी गेल - की ई संयोग नहीं
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