Wednesday, April 25, 2012

हमरा द्वारा अनावधान में संशोधित एकश्लोकी रामायण

जानकी नवमी २०६९ विक्रमक अवसर पर हमरा द्वारा अनावधान में संशोधित एकश्लोकी रामायण - आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, अयोध्यापुरी आगमनं , सीता निर्वासनं अश्व बन्धनं जानकी पृथ्वी समाहितम ।। एतद्धि वाल्मिकी रामायणं ।। पुरान प्रचलित पाठ छैक - आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम् एतद्धि रामायणं ।। डॉ. धनाकर ठाकुर, श्यामली, रांची ८३४००२ मोबाईल ९४७०१९३६९४

No comments: