128th
Mithila Jagaran yatra- Rosera-Kusheshwardham-Samastipur-Part I (Rosera)
१२८म मिथिला
जागरण यात्रा - रोसरा- कुशेश्वरधाम -समस्तीपुर
१४.१०.१२ क समस्तीपुरमे एक बैसार पूर्वनियोजित छल तैं विचार भेल जे रोसरा जे ९.६ .१२ क गेल छलन्हू आ ठीकस बैसार नहीं भय सकल छल ओतय १३.१० क जा के अनुमंडल समितिक रचना कायल जाय आ तदनुसार श्री रामाश्रय यादवजीस १.१०.२०१२ क बात भेल- यादवजीक नाम हमर सूचीमे अरविन्द महिला विद्यालयमे ९.५.२०१० क भेल हमर उद्बोधनमे उपस्थित शिक्षक सबमे छल जे शंकरबाबू द्वारा आयोजित छल जिनका मुजफ्फरपुर अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्क तत्कालीन अध्यक्ष मदन बाबु हमारा बारेमें कहने छलखिंह- ओही गर्मीमे हम अकौड़(मधुबनी) क मैथिली कैंपस सीधा पटना गेल छलन्हू आ संबोधन जेहेन भेल हो आईधरि ओही शिक्षक सबमे दुबारा भेंट केवल रामाश्रयजी स १३.१० क भेल यद्यपी हम अनेक थाम अपन प्रवास क दौरान अनेक एहेन शिक्षक सबके सूचनी दैत रहलियैन्ही -
ओना हम ९.६.१२ क सेहो रोसरा रामाश्रयजीस बात कयक गेल छलन्हू मुदा हुनक पिताजी दू दिन पूर्व स्वर्गवासी भय गेल छलखिंह आ हमर बैसार शंकरबाबू द्वारा निर्देशित उमेश चौधरीजी क प्रभात तारा विद्यालयमे भेल जरूर छल मुदा ओहि दिन जगदगुरु शंकराचार्य पूरी स्वामी निश्चलानंदजी शहरमे छल्खिंह ताहि हेतु प्रमुख मैथिल उम्हरन्ही छलाह आ विद्यालयमे छोट बच्चासबके स्वास्थ्य आ सामान्य ज्ञान आ मिथिलाक बारे में अपन संस्कारक बारे में किछु बता उपस्थित शिक्षक सबके बीच मिथिलाक बारेमे अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्कसोच रखल छल आ उमेशजी आ रामाश्रयजी (अनुपस्थितिमे) के अनुमंडल अध्यक्ष आ महासचिव घोषित कायल छल मुदा काज आगाँ नहीं बढ़ल
१४.१०.१२ क समस्तीपुरमे एक बैसार पूर्वनियोजित छल तैं विचार भेल जे रोसरा जे ९.६ .१२ क गेल छलन्हू आ ठीकस बैसार नहीं भय सकल छल ओतय १३.१० क जा के अनुमंडल समितिक रचना कायल जाय आ तदनुसार श्री रामाश्रय यादवजीस १.१०.२०१२ क बात भेल- यादवजीक नाम हमर सूचीमे अरविन्द महिला विद्यालयमे ९.५.२०१० क भेल हमर उद्बोधनमे उपस्थित शिक्षक सबमे छल जे शंकरबाबू द्वारा आयोजित छल जिनका मुजफ्फरपुर अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्क तत्कालीन अध्यक्ष मदन बाबु हमारा बारेमें कहने छलखिंह- ओही गर्मीमे हम अकौड़(मधुबनी) क मैथिली कैंपस सीधा पटना गेल छलन्हू आ संबोधन जेहेन भेल हो आईधरि ओही शिक्षक सबमे दुबारा भेंट केवल रामाश्रयजी स १३.१० क भेल यद्यपी हम अनेक थाम अपन प्रवास क दौरान अनेक एहेन शिक्षक सबके सूचनी दैत रहलियैन्ही -
ओना हम ९.६.१२ क सेहो रोसरा रामाश्रयजीस बात कयक गेल छलन्हू मुदा हुनक पिताजी दू दिन पूर्व स्वर्गवासी भय गेल छलखिंह आ हमर बैसार शंकरबाबू द्वारा निर्देशित उमेश चौधरीजी क प्रभात तारा विद्यालयमे भेल जरूर छल मुदा ओहि दिन जगदगुरु शंकराचार्य पूरी स्वामी निश्चलानंदजी शहरमे छल्खिंह ताहि हेतु प्रमुख मैथिल उम्हरन्ही छलाह आ विद्यालयमे छोट बच्चासबके स्वास्थ्य आ सामान्य ज्ञान आ मिथिलाक बारे में अपन संस्कारक बारे में किछु बता उपस्थित शिक्षक सबके बीच मिथिलाक बारेमे अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्कसोच रखल छल आ उमेशजी आ रामाश्रयजी (अनुपस्थितिमे) के अनुमंडल अध्यक्ष आ महासचिव घोषित कायल छल मुदा काज आगाँ नहीं बढ़ल
अहू बेर सैह
भेल मुदा ओ प्रभावी ढंगस भेल - पिछला बेर डॉ
सत्यनारायण महतो आ डॉ उपेन्द्र यादव आबी गेल छलथि आ बखरी ओलापुरस बाल्मिकी जी आ बैसार बाद हम दलसिंगसराय चली गेल छलन्हू मुदा एही बेर केवल
प्रेमजी दलसिंगसरायस संग भेलाह जे दू दिन संग रहलाह -कोनो संगठनमे एहिना स्थानीय क्षेत्र प्रभारी वरीय क
संग रहित छैक आ तखने संगठनक स्वरुप बनैत छैक - समस्तीपुर स्टेशन पर पूर्ववत
आर ऍम असमे डाकक एक झोरा खालीकए
स्नान-
संध्या- तर्पणकए सवारी गाडी पर
दूनू गोटे चढलहूँ जाहि में एही बेर
सेहो भीड़ छल जाहिमे समस्तीपुरस प्रतिदिन जाइबला
कर्मचारी सबके मिथिलाक पर्चा दयक सबस बात करैत रहलन्हू लोकमे मिथिला राज्यक निर्माणक
प्रति आकांक्षा छैक ई लागल मुदा ठोस संगठन चाही - प्रेमजीके हम बादमे कहलियैन जे कियो कार्यकर्ता
यदि पसीन्जर ट्रेनमे मिथिलाक हर भागमे घुमय आ
मिथिलाक पर्चा बांटी चर्चा करय आ जागरूक लोकक मोबाइल नंबर लय
बादमे सूचना दय हुनका ओत जाय बहुत काज भय
सकैत अछि - एही लेल समयक आवश्यकता अछि बहुत पाइक नहीं - चालीस टाका टिकटमे मिथिलामे कतहुस
कतहु जा सकैत छि
रोसरा स्टेशन वा
समस्तीपुर खगड़िया मार्ग हमरा लेल बच्चास देखल अछि जाकर एक एक स्टेशन लग हक़ पाकड़ी वा आन छायादार गाछ
हमारा खींचैत अछि - फारबिसगंज स गाम (पंडौल) जयबाक रास्तामे कटिहार- खगड़िया- समस्तीपुर वा कटिहार-बरौनी- समस्तीपुरक मार्ग (जाबत जानकी एक्सप्रेस ललितग्राम -सुपौल सहरसा होइत मानसी
नहि चलय लागल छल) - जानकी सेहो एही मार्ग स चालित अछि एखनहु ओना आब वाजपेयी कोशी महासेतु बनलास एही कोनो मार्ग क आवश्यकता नहि
जखन कखनहु हम एहि मार्गस जाइत छि देखैत छि मिथिलाक प्रायः सबस पिछडल लोक, आदमी आ जानवर में बहुत कम अंतर , कम पढ़ल , केवल किछु खरीदय- बेचय लेल सस्ता सवारी गाडीमे भरल- कुजरिनीक हांज जे समस्तीपुर- दरभंगा बीच सेहो भेटि जायत , वा मकईक बोरा लादैत कोपरिया- मानसीक बीच - यैह अछि ठेठ मिथिला जे एखनहु बजैत अछि मैथिली - कुजरिनिक उंच बोली- हंसीमे खुलल मुंह- मेहनतस भेल पातर काया- जतय चढ्तीह हाँजमे आ चढ्ब -उतरब कठिन तैयो कहूनाकए रुसेराघट स्टेशन पर उतरलहूँ - प्रभात ताराक रिक्शा तीस टाका मंगलक जे अधिक लागल (समस्तीपुर रोसरा ट्रेन टिकट चारि टाका मात्र) - दूनू गोटे पैदल बढ़लहूँ - प्रखंडक बाद शार्ट कट रास्तामे एक सरकारी उच्च विद्यालयमे विद्याथी सबके प्रार्थनामे देखैत प्रेमजीके कहलियेन्ही जाकए प्रधानाध्यापकस पूछथि की हम संबोधन किछु मिनट कए सकैत छी मुदा ओतय परिक्षा छलैक तैं संभव नहीं भेल
जेल हाता जरूर पैघ लागल - अशिक्षा आ गरीबीक चलते अपराध अधिक हो वा न हो पुलिस, ओकील क काज कोना चलतैक यदि शान्ति रहतैक आ कोनो शहरक अर्थव्यवस्था निरीह ग्रामीण क शोषण पर निर्भर छैक जाहि में आब डाक्टरी सेहो अबैत अछि जिनक अनेक दोकान ओहि पैदल मार्गमे देखालन्हू- बस स्टैंड होइत ओतय बतौलक कुशेश्वरस्थानक बस हर आधा घंटा पर जे पिपरा तक जाइत चैक ओतय स जीप कए आधा घन्टा - प्रभात तारा पंहुचलहूँ आ उमेशजीक सूचना ११ बजेक सब कए छलन्हि - रामाश्रयजी अयलाह आ ओ उमेशजीक सखा सब ठाम विद्यालयस महाविद्यालय तक से जानि नीक लागल
रामाश्रयजी खेद प्रगट केलाह जे पिछ्ला बेर पिताजीक मृत्यु कारण नहि आबी सकलाह - हम कहलियेन्ही रोस्राक हामर यात्रा क अहू बेर संयोग जे कलही हमर अनुज शुभाकर कह्लथी जे बनारसमे हुनक पंडित लोमेश पाठक रोसराक बगलक करियन गामक छथि ओ बैसार करौताह आ १२.१०.२०१२ क बात केलन्हू हुनक दादीजी स्वर्गीया ! करियन जेबाक मोनमे बहुत दिनस अछि कारण ई महान उदयनाचार्यक गाम अछि जे बौद्ध मतक उच्छेदन कए मिथिलाक सनातन सांस्कृतिक रक्षक भेलाह )
बैसारक पूर्व उमेश जी संस्कृत विश्वविद्यालय क कुलपति उमेश शर्माजीक एक अपूर्व भाषण क चर्चा केलान्ही जकरा ओ लिखैत गेल छलाह आ ४० मिनट फ़ोन पर हुनका सुनौलन्ही जाहिस ओ विस्मृत भय गेलाह आ एक बेर रोसरा बजेने छलखिंह अबैत काल मालूम भेलैन्ही जे हुनमा सरकार पदच्युत केल्कैन्ही जाहि पर ओ आधा रास्तास घुमैत छलाह - मुदा उमेश जी कहलखिन 'उमेश को उमेश चाहिए कुलपति नहि' जाहि पर ओ अयलाह बिना ककरो किछु बुझने जे ओ कुलपति स हटी रहल छाहती अपन अद्वितीय व्याख्यान देलाह -ओहुना जाबत प्रभार दोसर कए नहीं दिताथिंह ओ कुलपति त छलाहे
तहिना एक घटना सांसद भोला शर्माक बारे में - उमा भारतीक स्वागतमें ओ बाजि गेलाह जे उमेशजीक मूंहस सूनि विस्मित भेलाह -
"विधि का विधान है
जनकपुरधाम है ( सासुर भोलाजीक !)
मंच पर गिरिराज विराजमान है
भोला हाथ फैलाये है
उमा पधार रही है
भोलामे उमा की शक्ति समाहित हो रही है
किसकी हिम्मत है भोला को पराजित कर दे. "
बैसारक प्रारंभ जय जय भैरवीस भेल
अध्यक्षता हिन्दीक पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ परमानंद मिश्र केलन्ही जाहिमे उपस्थित मुख्य छलाह
डॉ धनाकर ठाकुर पौराणिक आ ऐतिहासिक सन्दर्भमे देश आ राष्ट्र कए परिभाषित केलाह जे मिथिला एक देश छल जरूर मुदा राष्ट्र नहीं जे भारत युगानुयुग स रहैत आयल अछि जाहिमे अनेक देश रहल ताहिमे विदेह एक छल, राजनैतिक राज्यक अर्थ राष्ट्र नहि ; भारत एक अछि देखाइत अनेक अछि, अनेकतामे एकता भारतक विशेषता एक भ्रामक नारा अछि, उनका सब द्वारा चलाओल गेल जे स्वयम बाहरस आबि गलत ढंगस आर्यकए बाहरस आयल कहलाह मानो भारत एक धर्मशाला जाकर कियो मूलवासी नहि
संस्कृतस कोनो भाषा नहि बनल - सब बोलीस शोधिके संस्कृत बनल जे आसेतु हिमाचल स्वीकार्य अछि आ एक अछि
मिथिला १३२६ तक एक देश छल आ १७७४ तक एक प्रांत जकरा अंग्रेज बिहारमे मिला देलक
१९१२ स आई धरि मिथिला उपेक्षित अछि - कोनो केन्द्रीय संस्थान मिथिलामे नहीं, आर्थिक शोषण भय रहल अछि आदि जकर निदान लेल राज्य बनक चाही आ परिषद् एहि काजमे लागल अछि हर वर्ग आ क्षेत्रक मिथिलावासीकए संगठित करयमे
श्री शशिकांत मिश्र उर्फ़ नुनु भाई सेवानिवृत्त अभियंताश्री नरेन्द्र मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक, बजलाह जे ओ सब प्रकारस एहि काज में लगताह , डॉ. रामाश्रय यादव बजलाह जे ओ संगठन लेल सब किछु करताह
अध्यक्ष परमानंद बाबू बजलाह जे ओ आब संतुष्ट छथि जे मिथिला राज्य हो यद्यपि हुनका एहि बैसार स आबे कए पूर्व एहि पर किछु शंका छलनि- ओ कल्हाला;लह जे हिन्दी सेहो विद्यापतिके अपन शक्तिक श्रोत मानैत छानी
बैसारक अंत भगवान् हमर मिथिलाक गायन स भेल आ तखन सब कए प्रतिज्ञा भेल जे ओ परिषद्क कार्यकर्त्ता आजीवन रहताह
जखन कखनहु हम एहि मार्गस जाइत छि देखैत छि मिथिलाक प्रायः सबस पिछडल लोक, आदमी आ जानवर में बहुत कम अंतर , कम पढ़ल , केवल किछु खरीदय- बेचय लेल सस्ता सवारी गाडीमे भरल- कुजरिनीक हांज जे समस्तीपुर- दरभंगा बीच सेहो भेटि जायत , वा मकईक बोरा लादैत कोपरिया- मानसीक बीच - यैह अछि ठेठ मिथिला जे एखनहु बजैत अछि मैथिली - कुजरिनिक उंच बोली- हंसीमे खुलल मुंह- मेहनतस भेल पातर काया- जतय चढ्तीह हाँजमे आ चढ्ब -उतरब कठिन तैयो कहूनाकए रुसेराघट स्टेशन पर उतरलहूँ - प्रभात ताराक रिक्शा तीस टाका मंगलक जे अधिक लागल (समस्तीपुर रोसरा ट्रेन टिकट चारि टाका मात्र) - दूनू गोटे पैदल बढ़लहूँ - प्रखंडक बाद शार्ट कट रास्तामे एक सरकारी उच्च विद्यालयमे विद्याथी सबके प्रार्थनामे देखैत प्रेमजीके कहलियेन्ही जाकए प्रधानाध्यापकस पूछथि की हम संबोधन किछु मिनट कए सकैत छी मुदा ओतय परिक्षा छलैक तैं संभव नहीं भेल
जेल हाता जरूर पैघ लागल - अशिक्षा आ गरीबीक चलते अपराध अधिक हो वा न हो पुलिस, ओकील क काज कोना चलतैक यदि शान्ति रहतैक आ कोनो शहरक अर्थव्यवस्था निरीह ग्रामीण क शोषण पर निर्भर छैक जाहि में आब डाक्टरी सेहो अबैत अछि जिनक अनेक दोकान ओहि पैदल मार्गमे देखालन्हू- बस स्टैंड होइत ओतय बतौलक कुशेश्वरस्थानक बस हर आधा घंटा पर जे पिपरा तक जाइत चैक ओतय स जीप कए आधा घन्टा - प्रभात तारा पंहुचलहूँ आ उमेशजीक सूचना ११ बजेक सब कए छलन्हि - रामाश्रयजी अयलाह आ ओ उमेशजीक सखा सब ठाम विद्यालयस महाविद्यालय तक से जानि नीक लागल
रामाश्रयजी खेद प्रगट केलाह जे पिछ्ला बेर पिताजीक मृत्यु कारण नहि आबी सकलाह - हम कहलियेन्ही रोस्राक हामर यात्रा क अहू बेर संयोग जे कलही हमर अनुज शुभाकर कह्लथी जे बनारसमे हुनक पंडित लोमेश पाठक रोसराक बगलक करियन गामक छथि ओ बैसार करौताह आ १२.१०.२०१२ क बात केलन्हू हुनक दादीजी स्वर्गीया ! करियन जेबाक मोनमे बहुत दिनस अछि कारण ई महान उदयनाचार्यक गाम अछि जे बौद्ध मतक उच्छेदन कए मिथिलाक सनातन सांस्कृतिक रक्षक भेलाह )
बैसारक पूर्व उमेश जी संस्कृत विश्वविद्यालय क कुलपति उमेश शर्माजीक एक अपूर्व भाषण क चर्चा केलान्ही जकरा ओ लिखैत गेल छलाह आ ४० मिनट फ़ोन पर हुनका सुनौलन्ही जाहिस ओ विस्मृत भय गेलाह आ एक बेर रोसरा बजेने छलखिंह अबैत काल मालूम भेलैन्ही जे हुनमा सरकार पदच्युत केल्कैन्ही जाहि पर ओ आधा रास्तास घुमैत छलाह - मुदा उमेश जी कहलखिन 'उमेश को उमेश चाहिए कुलपति नहि' जाहि पर ओ अयलाह बिना ककरो किछु बुझने जे ओ कुलपति स हटी रहल छाहती अपन अद्वितीय व्याख्यान देलाह -ओहुना जाबत प्रभार दोसर कए नहीं दिताथिंह ओ कुलपति त छलाहे
तहिना एक घटना सांसद भोला शर्माक बारे में - उमा भारतीक स्वागतमें ओ बाजि गेलाह जे उमेशजीक मूंहस सूनि विस्मित भेलाह -
"विधि का विधान है
जनकपुरधाम है ( सासुर भोलाजीक !)
मंच पर गिरिराज विराजमान है
भोला हाथ फैलाये है
उमा पधार रही है
भोलामे उमा की शक्ति समाहित हो रही है
किसकी हिम्मत है भोला को पराजित कर दे. "
बैसारक प्रारंभ जय जय भैरवीस भेल
अध्यक्षता हिन्दीक पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ परमानंद मिश्र केलन्ही जाहिमे उपस्थित मुख्य छलाह
डॉ धनाकर ठाकुर पौराणिक आ ऐतिहासिक सन्दर्भमे देश आ राष्ट्र कए परिभाषित केलाह जे मिथिला एक देश छल जरूर मुदा राष्ट्र नहीं जे भारत युगानुयुग स रहैत आयल अछि जाहिमे अनेक देश रहल ताहिमे विदेह एक छल, राजनैतिक राज्यक अर्थ राष्ट्र नहि ; भारत एक अछि देखाइत अनेक अछि, अनेकतामे एकता भारतक विशेषता एक भ्रामक नारा अछि, उनका सब द्वारा चलाओल गेल जे स्वयम बाहरस आबि गलत ढंगस आर्यकए बाहरस आयल कहलाह मानो भारत एक धर्मशाला जाकर कियो मूलवासी नहि
संस्कृतस कोनो भाषा नहि बनल - सब बोलीस शोधिके संस्कृत बनल जे आसेतु हिमाचल स्वीकार्य अछि आ एक अछि
मिथिला १३२६ तक एक देश छल आ १७७४ तक एक प्रांत जकरा अंग्रेज बिहारमे मिला देलक
१९१२ स आई धरि मिथिला उपेक्षित अछि - कोनो केन्द्रीय संस्थान मिथिलामे नहीं, आर्थिक शोषण भय रहल अछि आदि जकर निदान लेल राज्य बनक चाही आ परिषद् एहि काजमे लागल अछि हर वर्ग आ क्षेत्रक मिथिलावासीकए संगठित करयमे
श्री शशिकांत मिश्र उर्फ़ नुनु भाई सेवानिवृत्त अभियंताश्री नरेन्द्र मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक, बजलाह जे ओ सब प्रकारस एहि काज में लगताह , डॉ. रामाश्रय यादव बजलाह जे ओ संगठन लेल सब किछु करताह
अध्यक्ष परमानंद बाबू बजलाह जे ओ आब संतुष्ट छथि जे मिथिला राज्य हो यद्यपि हुनका एहि बैसार स आबे कए पूर्व एहि पर किछु शंका छलनि- ओ कल्हाला;लह जे हिन्दी सेहो विद्यापतिके अपन शक्तिक श्रोत मानैत छानी
बैसारक अंत भगवान् हमर मिथिलाक गायन स भेल आ तखन सब कए प्रतिज्ञा भेल जे ओ परिषद्क कार्यकर्त्ता आजीवन रहताह
दोसर दिन सेहो
रोसरा होइत समस्तीपुर गेलंहु मुदा बैसारमे देर होइत छल तैं सीधा बस बदललान्हू जे घंटा भरी बाद
चलाल आ बाज़ार पास करैत देखल बड़ी दुर्गास्थान जकर फोटो
खीची नहीं पयलन्हू( मुदा ओकर आगाँक राम जानकी महादेव मंदिरक फोटो खीचलन्हू ) हमारा याद आयल
ओहि स्थानक जकरा बाहरन्ही स २००३ क नवरात्रक समय
देखने छलन्हू ३.१०.२०१२ क जखन बेगमपुर गामक नाम वैष्णवीकए आबि रहल छलन्हू आ डॉ
विष्णु प्रसाद अग्रवालकए तकैत रोसराक चक्कर लागल छल- तखनाहू दलसिंगसरायक एक
युवा संग छलथि रेम्जीक जकां
हमरा आओर एक सन्दर्भ याद अबैत अछि रोसरामें कहियो कमंडल बहुत नीक बनैत छल जे जे विश्व प्रसिद्ध छल , हाजीपुरक कातिक मेला जाइत छल, जतयस एक मगधक नदियावन गमक भक्त खरीद अपन गुरू सुखाड़ी बाबाकए दैत छलखिंह जे हमरा कहने छलाह जाहि पर पूछला पर प्रो. परमान्द मिश्र कहलाह जे ओ स्वयम देवराहा बाबा आ परम पूज्य गोलवलकर साहेब कए भेंट देने छलखिन - ओतुक्का एक बढई जंगल मिस्त्री ई काठक कमंडल बनबयमे उस्ताद छल मुदा ओ संतानहीन छल आ आब ओकरा संग ई विद्या चलि गेलैक - हम परमानन्द बाबू कए कह्लियन्ही जे ओ पुरान कोनो कमंडलकए प्राप्त करथि आ ककरो प्रशिक्षण दय रोजगार लेल प्रोत्साहित करथि
रोसरा एखनहु ताडक पंखा लेल नामी अछि आ मुजफ्फरपुरक बाद लीची एतुक्का नामी
कबीरदास एतय आयल छलाह- ३ मठ कबीर पंथे एक एतय अछि
बूढ़ीगंडक नदीक किनारमे ई बसल अछि
रोसरा मंदिर लेल विख्यात अछि - चितर पंजियारक मंदिर , लक्ष्मी गडाईक मंदिर, बड़ी दुर्गास्थान, महावीर मंदिरक नाम पर चौक, खासबाबाक मंदिर दरगाह पर, सोना माइक मंदिर आदि अछि आ एहि पर अनेक कथा अछि जे सब संकलित करक चाही आ स्मारिकाक रूपमे वार्षिक उत्सवमे अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषदक इकाई प्रकाशित करय स्थानीय लोकस विज्ञापन लय आ एहेन सब छोट मोट शहरक गाथा लिखल जाय
रोसरा अनुमंडल क ३५ म स्थापना दिवस पर परमानन्द बाबू एक लेख लिखनहू छलथि - रोसरा दोसर फेजमे नगरपालिका बनल छल जकर लड़ाई इंग्लैंडक कोर्टमे भेल छल
पुरान शहर सब ख़त्म भय रहल अछि आ ताहि संग ओतुक्का सांस्कृतिक विलोपन जे संरक्षण हेबाक चाही
हमरा आओर एक सन्दर्भ याद अबैत अछि रोसरामें कहियो कमंडल बहुत नीक बनैत छल जे जे विश्व प्रसिद्ध छल , हाजीपुरक कातिक मेला जाइत छल, जतयस एक मगधक नदियावन गमक भक्त खरीद अपन गुरू सुखाड़ी बाबाकए दैत छलखिंह जे हमरा कहने छलाह जाहि पर पूछला पर प्रो. परमान्द मिश्र कहलाह जे ओ स्वयम देवराहा बाबा आ परम पूज्य गोलवलकर साहेब कए भेंट देने छलखिन - ओतुक्का एक बढई जंगल मिस्त्री ई काठक कमंडल बनबयमे उस्ताद छल मुदा ओ संतानहीन छल आ आब ओकरा संग ई विद्या चलि गेलैक - हम परमानन्द बाबू कए कह्लियन्ही जे ओ पुरान कोनो कमंडलकए प्राप्त करथि आ ककरो प्रशिक्षण दय रोजगार लेल प्रोत्साहित करथि
रोसरा एखनहु ताडक पंखा लेल नामी अछि आ मुजफ्फरपुरक बाद लीची एतुक्का नामी
कबीरदास एतय आयल छलाह- ३ मठ कबीर पंथे एक एतय अछि
बूढ़ीगंडक नदीक किनारमे ई बसल अछि
रोसरा मंदिर लेल विख्यात अछि - चितर पंजियारक मंदिर , लक्ष्मी गडाईक मंदिर, बड़ी दुर्गास्थान, महावीर मंदिरक नाम पर चौक, खासबाबाक मंदिर दरगाह पर, सोना माइक मंदिर आदि अछि आ एहि पर अनेक कथा अछि जे सब संकलित करक चाही आ स्मारिकाक रूपमे वार्षिक उत्सवमे अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषदक इकाई प्रकाशित करय स्थानीय लोकस विज्ञापन लय आ एहेन सब छोट मोट शहरक गाथा लिखल जाय
रोसरा अनुमंडल क ३५ म स्थापना दिवस पर परमानन्द बाबू एक लेख लिखनहू छलथि - रोसरा दोसर फेजमे नगरपालिका बनल छल जकर लड़ाई इंग्लैंडक कोर्टमे भेल छल
पुरान शहर सब ख़त्म भय रहल अछि आ ताहि संग ओतुक्का सांस्कृतिक विलोपन जे संरक्षण हेबाक चाही
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