Monday, July 14, 2014

हमर 132 मिथिला जागरण यात्रा - शेखपुरा- लखीसराय -जमुई 
ई पहिल  अवसर  नहि छल जे हम अपना के मैथिल समाज  द्वारा अपमानित बुझी  किछुवे घंटा पूर्व कार्यक्रम  कठु आन ठाम जेबाक बनौलहूँ।
7.10.2012
क हमरा स एक ठाम  एक मैथिली संगठनक अध्यक्ष  2.10.2012  लेल समय लेने छलाह विद्यापति पर्वमेजाहिमे मुख्य अतिथि एक परमपूज्य महात्मा  अबय बला छलखिंह।
फेर  12.10 2211 बात भेल, टिकट लेलहुं  28.11 हुनक फेर फोन आयल  अबे छी ने कहलियेन्ही जरूर अबय छी  देवघरक अपन  सहपाठी डॉ गोपाल वर्णवाल/ डॉ मंजू बेटी डॉ रूचीक डॉ राहुल संग विवाहक स्वागत भोज निमंत्रण 1.12 क रातिमे करैत सीधा आयबसमय पर   - मुदा 30.11 क ओही स्थानक एक  युवक ओही  विद्यापति पर्वक  निमंत्रण पत्र फेसबुक पर पोस्ट के देलक जे अचानक हम देखि अचरजमे पड़ी  गेलहूँ मुख्य अतिथि परमपूज्य महात्माक अलावे अध्यक्षता करैत आ एक मुख्य वक्ताक अलावे सम्मानित सात अतिथिमे  हमर नाम नहि जखन की ओहिमे शायदहीं कियो  शिक्षा, पद वा  कार्य में हमारास वरीय होथि आ यदि वरीय छलाह तैयो हमर नाम रहक छल कारण हम एक पैघ संगठनक  प्रतिनिधित्व  करैत छि आ निर्णय लेल जे ओतय नही जाई जत अपमान होइत हो वा संभावना हो।
आ चूँकि देवघर जेबाक छल अपन कम्पूटर पर आसपास क पता ताकल।  शेखपुराक  एक नंबर भेटल।  फोन केला पर एक महिला उथाउलथि  आ कहलीह जे मृत्युंजय हमर भाई अछि आ हुनक पतिस बात भेल।  ओहो कहलाह जमुईमे बैसार करा देब आ फेर मृत्युंजयस बात भेल।  2006 मे कतहु ट्रेनमे जाइत   भेंट भेल छलाह आ तुरंत चीन्हि  लेलाह जे हमर बात हुनकास मिथिला राज्य लेल भेल छल। 
फेर जमुइक एक सज्जनस बात भेल जे किछू एक वर्ष पहिने भेंट भेलाह एहिना रेलमे  आ कहलाह जे किछु शिक्षकके ओ जमा करताह - लागल जे किछु काज जरूर होयत 
हम यथासमय चललहूँवापसीक टिकट रद्द करा नब जमुईस वापसीक लेल प्रतीक्षा  सूचीक।  बाबाधाम लेल समय टिकट  लेबमे भीड़ भेटल।  गाडी चढ़लहूँ आ  खुजल।  धनबादमे एक पंडा बगलमे शिवशंकर मिश्र अयलाह। अनेक संपर्क देलाह मालदा तकके  मैथिलक।  ओ संघकअनेक स्वयंसेवकक बारेमे बतेलाह।
गाडी एक घंटा देर।  बिजली कोठी ठंढामे। वर-कन्या उठि  चुकल छलाह। अंतिम अतिथि हम।  हमर  संगी गोड्डास डॉ अजय झा, डॉ कुलानंद चौधरी आ स्थानीय डॉ रमण सुल्तानिया आबीक जा चुकल छलाह।
हम डॉ गोपाल आ डॉ मंजुक विवाहमे पटना गेल छलहूँ कहियो आ फेर एहिना मेडिकल संगठन काज लेल राति मे मेडिकल छात्रावासमे आबि  दोसर दिन। 
फेर ओहिना भेल - हुनक घर गेलहुं - किछु देर एक वामसेफक ब्राह्मण  विरोधी पत्रिका देखलहुं आ सहसा ध्यान आयल कियैक कहियो गोपाल कहने छल मिथिला राज्य बनलास ब्राह्मणक वर्चस्व बढ़तैक। हम कहने छलियैक जे 'संघचालक भय गेलह मुदा संघक संज्ञान नही चाह जे संघ जातिपातिक आधार पर नही चलैत  छैक।' जसीडीह अपन एकमेव संतान बेटी आ जमाईके  छोडय गेल आ हमहूँ जसीडीह आबी गेलहूँ।
ओ कहलक शेखपुरा जाई लेल कियैक ने राति  विश्राम कय जाई मुदा नहि मानल आ एक टिकट लय  लागल गाड़ीमे चढ़ी गेलहुँ।
शेखपुरा क 2-3 यात्री भेटलाह- एक 10मी के छात्रा जे कहलक ओकर गाम घाटे  कुसुम्मामे  बाजार लागैत छैक आ  ओही क्षेत्रक सब राजनीती ओतही स होइत छैक।   ओकरा हम अपन  बोलीमे  बात करय कहलियैक आ हमहूँ अपन बोलीमे।
ओ कहलक जे हम छि जोरी बजैत छि जेना ओकर बगलक 1-2 गाममे लोक बजैत अछि। 
एकर  अर्थ भेल जे मैथिली भाषाक ओ क्षेत्र सीमा अछि।  
जखन हम जखराज  स्थानक बात केलियैक जे जेबाक अछि  ओ कहलक तांगास जाय पडत 
किउल उतरलहूँ  एक टी टी इ टिकट मांगे लेल ठाढ़ छल .  कहलियैक टिकट अछि,-गेट पर अहाँ नही छि जे बाहर जायब।  कहलक  देखाबी  आ देखला क बाद कहलक जे इ ट्रेन सुपरफास्ट अछि (जे हर 10 डेग पर रूकैत  आयल ) अंतमे 100 टाका लय  छोडलक।  10  टाका क टिकट पर 250 क फाइन भ्रष्टाचार के बढबैत छैक। लाखों किलोमीटर  यात्रा के बाद हमरा ई अनुभव भेल। संगमे जोडल पाई छल - लौटय  लेल टिकटक   अलावा आ यैह ह  मात्र उपाय छल - जखन हम नही बुझी सकलहूँ जे  सुपरफास्ट ट्रेन छलैक आन के कोन  कथा - वस्तुतः एहेनमे अहाँ यदि बिना टिकट नही छि केवल 10 या 20 टका शुल्कक लेल ओकरा बिना टिकट नही मानक चाही
पहिलहूँ  हम रेल मंत्री  के लिखने छलियैक आ फेर लिखल अछि 

किउलमे ठाढ़  पसेंजर गाडीमे सूति   गेलहुं। कनी देर बाद मौर्यके अबय के उद्घोषणा भेल।  ओहिस आयल रहितहूँ त  सुपेरफास्त झंझटी में नहि पडीतहूँ।  आगाँ  राँचीस शेखपुरा मौर्यस आयब से सोचलहूँ। 
450
मे गाडी  खुजल आ कनिए देर बाद शेखपुरा उतरलहूँ।  सर्वथा नब जगह।  छोट स्टेशन। गाडीक पिछला डिब्बामे छलहूँ] बोतलमे पानी लय  दूर लाइन पर निकललहूँ।  लौटला पर देखलहुं बिहारक प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंहक बारे में एक शिलालेख जे हुनक गाम माउरक स्टेशन वैह छल आ ओ टमटम स अबैत जाइत  छलाह।
भोरमे ठंढा छलैक।  तुरंत स्नान करक  हिम्मत नही भेल मुदा पूजा लेल आवश्यक छल।  ओही समय हमर मोबाइल काज केनाई बंद केलक।  एक दोसर आदमी के बात करैत पूछलियेन्ही आ  अपन उद्देश्य बतौलियेन्ही- मगध क होइतहूँ ओ सज्जन हमर बात पर चौंकलाह जे शेखपुरा क्षेत्रक संस्कृति बिहार प्रांतमे रहला पर ख़त्म भय जेतैक आ ओ एकर कारण बुझला बाद हमर समर्थन केलाह। ओ अपन मोबाइलस शेखखपुराक  हमर संपर्क  मृत्युंजयके फोन लगावल - ओ जखाराज चौक पर 9 बजे अबयके  बात कहलाह।
ओतय  सब बात सुनैत दोसर युवा बंटी कहलक जे ओ लखीसरायमे युवा सब के 11 बजे जमा करत आ पण पता आ नंबर देलक।
आब स्नान -पूजा कार्यके सोचलहूँ किन्तु पानी बंद। बगलके टंकी पर गेलहुं।  कहलक जे पानी चालत आ पानी चला देलक। ओ समय हावरा- राजगीर के छलैक आ ओही समय ओकरा पानी देबाक छालिक- जे पानी छैक से सम्हारी के चलाबय लेल ओकर सीनियरके कहैत हम सुनाने छलहूँ।  आब कल तकबाक बजाय ओताही प्रतीक्षा कयलहूँ आ कनिए देर बाद देखैत छी पानी अयलैक आ हम स्नान केलहुं आ पीपरी गाछ तर संध्या  तर्पण पूजा।
राजगीर एक्सप्रेस अयलैक आ गेलैक।  पूजा ख़त्म होइत देरी एक भिखमंगनी आयल - पहिले ओकरा हम झिटकि  देने छलियैक लेकिन फेर लागल ओकरा ताकि किछु दय दी आ ताहि स ओ स्टेशन सेहो देखि लेब आ लाइन स ओही युवक बंटीके बतावल छोट रास्ताक बजाय सड़कस जखराज स्थान जायब।  बाहर ओ भिखमंगनी  भेटल। तांगा अनेक लागल। चौक पर पूछलियैक ककरो। कहलक गिरीहिन्डा  जाइबला  तांगास चली जाऊ पाच ताका लेत - बैसल्हून आ याद पडल रातिमें ट्रेनमे भेटल ओ लडकी जे कहने छल   तांगास जेबाक होयत।
वतुतः तांगा देखि नीक लागल।  ई पुरान  लेकिन प्रदूषणहीन वाहन छैक आ भनही घोड़ाके पीटैत   हो ओकरा खोराकी दैबला एक प्राणीक रक्षा करयबला  साधन छैक। 
ई दुखक बात जे तांगा चलबय ला टेम्पू चलबयबला नही बनल जे अधुना विकासक भानही मापक हो एक निम्नतर वर्गक उन्मूलक छैक।
जखराज चौक क पुर्वहीं सोनालिका शो रूम।
मृत्युन्जयक सूचना  पाबी ओ प्रतीक्षारत छलाह। कानी देर बाद स्वयम  मृत्युन्जय अयलाह।  शोरूम राजो सिंहजीक भातिज क छलनि । किछु वर्ष पूर्व राजो सिंहक ह्त्या भेल छलन्हि। हुनक भातिज प्रोफेसर रणजीत सिंहस भेंट कराय कहलाह आ दोकान पर आयल एक दोसर शिक्षक  प्रोफेसर सत्यनारायण  बाबु स भेंट करय।
प्रोफेसर रणजीत सिंहक डेरा बगलमे। हुनक मौसा डॉ श्रीकृष्ण सिंह छलखिंह।  ओतही एक आओर   प्रोफेसर सुनील कुमार छलथि। हम अपन बात राखल। बिहारक राजनीती पर अनेक बात भेल। ओ किछु पुरान नेताक नाम लेलाह जिनका हम स्पेंट फ़ोर्स कहलियेन्ही  नब-नब नेता ठाढ़ हेबाक बात बतावल। कुल मिला ओ प्रसन्ना भेलाह आ ओही क्षेत्र के बिहारके बजाय मिथिलामे रहक बात नीक मानलाह।
मृत्युन्जयक संग प्रो सत्यनारायणजी डेरा दिशि  बढलहूँ - हम पूछलियेन्ही ई  जखराज स्थान कतय ? पछाँ छोटल देखौलाह जे ओही पीपर गाछमें  मदिर छैक।  वापस लौटी फोटो लेलहूँ।  पिंडीस ओ मैयास्थान लागल।  आगाँ  गेला पर देखल एक  धात्री गाछ में लाल सूत बाँधल। मृत्युन्जयके कहालियेन्ही 'ई अछि अक्षय नवमीक पूजल गाछ। येह चीज अछि अपन संस्कृति जे पूरा मिथिलामे एक अछि।
प्रोफेसर सत्यनारायण  बाबुक डेराक रास्तामे एक विद्यालय भेटल जातय  बच्चाक ऊचाई आ वजनक चार्ट देखि नीक लागल आ  बच्चा सबके जमाकय भारतमाता की जय आ वन्दे मातरम \क नारा लगवावल
प्रोफेसर सत्यनारायण  बाबु बतौलाह जे पहिले शेखपुरा विधानसभा  बेगुसराय लोकसभा क्षेत्रमे छलैक जे आब नालंदा में चली गेलैक।  ओ कहलाह जे बेगुसराय स जे भावनात्मक सामीप्य लागैत छलैक से नालंदास नहि। हम कह्लियेन्ही येह अछि शेखपुराके मिथिलामे रह्क औचित्य। ओ स्वीकार केलाह आ हमरा मोनमे बैसे गेल जे यदि शेखपुरा मिह्तिलामे रत , भागलपुर के सेहो  रहनाइ निश्चित आ मिथिल्क लेल हमर सबहक नक्शा ठीक अछि जेना ग्रियर्सन    देखने छलाह . चम्परणक लोक बोली  भोजपुरी भय गेल अछि लेकिन मुंगेर बचौने अछि ओकर कारन छैक जे मगही स्वयम सेहो मैथिलीक बोली मानल जा सकैत अछि। ओठी प्रो सुनील बाबू सेहो आबी गेल छलाह आ अंतरराष्ट्रिय मैथिली  परिषद्  क गठन भेल . सत्यनारायण  बाबु  कहलाह जे दोसर दिन एकरा प्रेस में देताह ताकि जानकारी लोक के हो।
लखीसरायक टाइम फेल भय गेल छल।  बस स्टैंड जैत श्रीकृष्ण चौक आ गिरिक फोटो लेल जाही पर एक मंदिर - जाही गिरीक नाम पर गिरिहिंडा   कहाईत   अछि। नींद लगैत  छल। रास्तामे एक रक्तकमलस शोभित पैघ  पोखरी देखलहुं जकर फोटो नहि खीची सकलहूँ।
लखीसराय बाज़ार बस स्टैंड। एक छोट नीक बाज़ार। बन्टीके फोन एक दोसर युवककक मददीस। स्टेशन तक टेम्पूस जा अगाँ  बढलहूँ। भीड़ भड़क्का। छोटी दुर्गास्थान लग। फोटो लेलहूँ।  फेर फोन जाबत  नही लागल छल  लगैत छल एक रह्गीर्क झांसा में अपन समय बर्बाद केलहुं  मुदा जखन लागल ओ महावीरस्थान बजौलक। ओतय एक बच्युवक कौशिक गोत्रीय श्रोत्रिय भेटल। ओकर नाना मदिरक  पुजारी अयलखिंह आ कह्लाह  प्रवीण कुमार लग जाऊ जे एहि काजमे मददी करताह।
नियत समय पर युवा बंटी अपन 10-12 मित्र के जमा केने छलाह जे सब कतहु चली गेल छलाह तैयो एक  गोपीकृष्ण आयल। प्रवींजीक सम्बन्ध दरभंगा स छलैन्ही हुनका  मोन मे छलन्हि जे एक संगठन होई से अंतरराष्ट्रिय मैथिली  परिषद्  बनी  गेल। प्रवीणजी सिंघाड़ा . तिलकूट मंगौलाह जे भरी दिनमे  आहारक नाम पर भेटल छल -दौगमदौगमे।
जमुई क समय फेल होइत छल -तीन बजे क समय छल- केवल 36 लिकिलोमीटर केवल चारि  रूपाक टिकट- 36 किलोमीटर मात्र 
लेकिन ट्रेन आयल देर स आ ओ लगा देलक चारि घंटा- बात सहयात्री धीरज कुमार अधिवक्ता स होइत रहल - ओ नीतिश क समर्थक - कहलाह विकास आकडामे  हो  वा नहि हो मानसिकतामे आबी गेल अछि- लूट पाट कम भेल अछि- लडकी सेहो स्कूल जाइत  अछि। ओना पहिले जे कहलजाइत  छलैक   ओ घर नीक जकर महिला घरमे से आब ठीक उलटा भय गेल।
मिथिला राज्य पर कहलाह जे एखन कोनो चर्चा उम्हर जमुईमे एही पर नही छैक लेकिन यदि बनतैक त  बिहार नहि मिथिलामे ओ सब रही चाह्ताह। हम कहलियेन्ही बस एतबे हम चाहैत छि।
जे कहियोके सहयात्री कहने छलाह जे किछु शिक्षक के कह्बैन्ही हुनक फोन पर  बच्चास गलत सूचना दियौलाथि  जे बाहर गेल छथि। हमरो  देर भेल छल। सोचलहूँ  अगिला बेर।
लेकिन चारि  सहपाठी डाक्टर के पांच क समय ददेल छल - डॉ ठाकुर ओमप्रकाशक डेरा स्टेशन से मलयपुर कहाईत  अछि स 5 किलोमीटर जमुई शहरमे- ओतुक्का ओ विख्यात डाक्टर।
कोनो  दिक्कत नहि  भेल पहुँचयमें। क्लिनिक पर तुरंत आयल। ओ हाजीपुरक लेकिन ओतहि  बसी गेल आ जमी गेल प्रक्टिसमें। मरीज देखक तरीका एकदम ठीक मेडिकल कोलेजक दिनके जकाँ।    फेर दोसर सहपाठी अनुपम सिंह  आयल - 1982क बाद भेंट। वैह रज्जू भैयाक कार्यक्रम दरभंगा मेडिकल में 14.1.1978 क रखने छल जे एन ऍम ओ  चली सकल , महान आदमी द्वारा उद्घाटित   भय, एतदर्थ ओकर नाम हमर आत्मकथामे। बहुत प्रसन्न भेल। ओओ प्रकाशक   डेरा  लेल कर पर बैसलहूँ आ ओ अपन बाइक पर  कहैत जे ओ वैह एफोर्ड के सकैत अछि सुनी दुःख भेल ..हमर सब संगी अपना शहरमें नीक छथि। शायद हम हुनका सबस तेज मुदा जीवन में पाछाँ।. ओमप्रकश कही देलक अपन पत्नीके- 'यैह अछि धनाकर जकरा क्लासक (सबस सुन्दरी) जिसी सबस अधिक मानैत छलीह।" हम कह्लियैन्ही "नीक भेल रहितय यदि ओकरहिस विवाह भेल रहैत त नही टूटल रहैत जे एक मैथिल ब्राह्मण डाक्टरनीस कय  भेल। " तेसर संगी अंजनी  सेहो सुनि  आबि  गेल छल ..ओकरा माओवादी ओही दिन भोरमे धमकी देने छलैक पाई पठाबी जे अख़बार में छलैक।
गाड़ीक समय भेल जाइत - ओमक पत्नी भोजन व्युत्पन्न बनौने से खा विदा। ओमप्रकाश छोडय   लेल  जमुई स्टेशन तक  जकर सामने विशिष्ट प्रकाशमे जगमगाईत  काली  मंदिरक फोटो खीचलहूँ। गाडी किछु मिनटमे - प्रतीक्षा सूचीक  टिकट रही गेल छल- धनबाद तक बैसल फेर सूतलहूँ  चारि घंटा। रांची में दोसर गाडी हटिया लेल- कटहरकोचामे उतरला पर डेरा।
जाही बनारसी मैथिल युवाके धन्यवाद देने छलियेन्ही  विद्यापति पर्वक हाम्र नाम विहीन कार्ड पोस्ट करय  के यो सही में धन्यवादक पात्र नहि छलाह  जे हम ई थीं नब ठाम  अपन काज में जोडि  पयलहूँ।

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