Wednesday, November 27, 2013

129m Mithila Jagran Yatra - कुर्सों, महिशाम , डेवढ (कवि जीवकान्त जी घर ), आ रहुआमे बीतल


आई (31.10.12.) भरी दिन अगिला प्रशिक्षण वर्ग ३४-३७ क  तैयारी में लागी गेल तथापि
१२९म मिथिला जागरण यात्रा क बात किछु आगाँ  बढावी  नही त बिसरा जायत  कलही संगठनात्मक रिपोर्ट आ फोटो पोस्ट भेल छल
एही यात्राक ६ रातिमे २ अबैत जाइत ट्रेनमे आ चारि चारि गाममे - कुर्सों, महिशाम , डेवढ  (कवि जीवकान्त जी घर ), आ रहुआमे  बीतल अछि आ सबहक अपन स्मरणीय प्रभाव  अछि
जखन ट्रेन लेल निकललन्हू पहिले रांची  स्टेशन पर बनारस क आरक्षण लेल २ दिसंबर क विद्यापति पर्व हेतु जे खिड़की में आगाँ २-३ लोक हमर ट्रेन मौर्य भेटे ताहि हेतु पहिले लेब देलक  - आब दिसबर तकह्क सब टिकट अछि  से सोचालन्हु ( दीपावली में बेनीपट्टी आस पास, १०  दिसंबर  दिल्ली धरना आ मधेपुरा  २५म अन्तरराष्ट्रिय  मैथिली सम्मेलन  २२-२३ दिसम्बर लेल भागलपुर तक के ) मुदा रास्ता में दुमका २८ नबंबर बढ़ी गेल .

मौर्य एक्सप्रेसमें बैसला पर  मोन भेल प्रवीणजीके  एस ऍम अस कय दी कारण ओ पूजामे व्यस्त होथि मुदा टाइप करैत छालान्हू  की टेलिपाथीस हुनक सूचना गेलैन्ही जे रेडियो तरंग स अधिक तेज(यक्ष युद्दिश्तिर  संवादमे वायुस अधिक तेज मोनके  कहल गेल छैक)
 
शंकित छलन्हू जे कुर्सों  १२-१ तक के दशहरी मीटिंग लेल पँहुची पायब वा नहीं आ कंही समस्तीपुर मे भोरे ६५५ क दरभंगा ट्रेन भेटत आ नही मुदा ट्रेन समय्स पहिने ५ मिनट पँहुचल आ ठाढ़ ट्रेनमे मिथिलाक पर्चा बाटी किछु हल्लुक भेलान्हू- किछु देर बाद ओही डिब्बा क एक यात्री स पर्चा पर सहमती भेटल आ कालिया स कालिदासक चर्चा  एहेन नीक कहलाह जे विडियो बना लेल - (वैह सहयात्री विजय ठाकुर पुप्रीक अगिला कैंप १०-१४ नवम्बर करेताह  ईहो एक संयोग कही)
दरभंगा पहुंची डोनर तेमो स गेलंहु- एक बस कुर्सों क हमर मानो प्रतीक्षा काय रहल छल - प्रवीण जी के कह्लियेन्ही जे आब जरूर समय पर पन्हुचाब- बस मे सेहो पर्चा बाँटल( हर मैथिली कर्य्कर्ताके किछु पर्चा रखक चाही आ एकर लाभ अबैत जाइत जरूर करी)-ठेन्घाक पटना मे कार्यरत एक युवा उत्साह देकहुलाह ओना ओ सांझ मे कुर्सो मे नहीं भेतालाह व भेंटी पोलाह भीड़ चलते..
ई रास्ता हमारा लेल पहिल छल सोनकी होइत  आशापुर  तक-  कहियो १९७७ मे सुमंजे एक चुनाव मे हम किछु मेदिकोस संग चुनव प्रचार लेल  ओतय छलन्हू- मझौदा गामक पवन ठाकुर हमर मित्र मुदा फोन नहि लागल छल  फेर आयल अलीनगर- अलीनगर मे उतरैत एक संभ्रांत व्यक्ति क परिचय पूचाल ओ ओतुक्का  बी डी ओ छलथि झाजी  खुटौना दिसिक वासी हुनका  एक मिनट रोकी अपन मैथिलीगीता देल -
बगलक विद्यार्थी कहलक जे कुर्सो आबी गेल - जेना बताओल छल दुर्गास्थान मे उतर्लान्हू- अनके गाम क भगवती स्थान सन मेला लागल - प्रणाम केलान्हू मुदा स्नान दैनिक पूजा बांकी छल  से परिसर भीतर जाइयोक स्थान क भीतर नही गेलहुँ 
प्रवीणजी फोन पर कहलाह जे आबी जाऊ ड्योढी  पूछी ओ पूजा पर छथि - कियो हमरा लेब अबैत अछि- हमर समाजवादी सर्वहारा मोन लागल जे कत जा रह ल छि? प्रवीण क पिताजी समाजवादी छलथि मुदा अपन देश मे सब एहने पिघ आदमी समाजवादी बानित अछि?
तथापि बदलाहूँ- हुनक अनुज रास्तामे हाथ मे झोडा देखि चिन्ह्लाह - ने ओ झोडा मंग्लाह ने मगला पर दितियेन्ही लेकिन लागल जे ड्योधीक लोक..पता नही हमर भाईक ओही घरमे विवाह कोना भेअलिक- संभव ' लव मैरज'रहल हो.दूनू एक संगे पटनामे पढैत छलाह मैथिली मे...
मुदा २-३ मिनट बाद घर आयल से अति सामान्य लागल - प्रवीणजी पंडित जकाँ  पाठ करैत
हमहूँ तैयार भेलान्हू - पैखाना आदि ट्रेन मे भय गेल छल केवल स्नान से बाहर एक चाप कल मे भेल आ ओताही बेलपत्र पिघ गाछ स आ छोट बछा तुलसी पात सेहो अनलक- पंचदेवता पूजा संक्षिप्त केलान्हून-
हुनक एक कक्का वा भाई बेर बेर कहैत--ठीक ११ बज, पंक्ति बध्हा, सिनीओरिटीक अनुसार- हमरा लागल जे द्योढीया फरमान .. कह्लियेन्ही अहाँ जाऊ ..हमरा पूजा मे किछु मिनट लागत
अनुशाशनप्रिय संघ प्रभवे हम छे मुदा हमरा बहुत ताम झाम पसंद नहि
प्रवीण जी आदि निकली गेलाह -   हुनक घरस हम भगवती लगस हमारा लेल राखल जयन्ती  लेल 
धोती गंजी पर शर्ट  ली (कुर्ता हम रखिते नहि छि प्रायः बहार जाइत काल) -लिय! एकहू पन्त शर्ट नहि! लागल जे एहो एक झंझट  भेल - किछु दिन पूर्व अनंत मूर्ती क एक कन्नडा कहानी टाइप करैत एक पात्र के अपन एक धोती कोनो गरीब के दयक केवल कौपीन मे रहक छल से बही गेल- भाग्यस बांकी सब वस्त्र गंजी- उंदर पन्त, मौजा ४-५ क छल , हडबडी मे एकहू शर्ट नहि राखि  पयलान्हू-  पहिरल पहिरी भगवती लग कोना जायब- तौनी गंजी पय राखि देहाती भय चललहूँ
प्रवीण कहने छलाह बिना चप्पल के आबी से एक परिक्षा अलग भय गेल - ओ बाबाधामक कांवरिया छथि मुदा हम?
पन्हुचलन्हू  भगवती स्थान - पंक्ति लंबा मे ठाढ़ भय  अपन क्रम अयला पर भीतर पूरण अनेक मूर्ती पाल समय क  भगवतीक - कोनो भ्नाजित सेहो लागल  विदेशी द्वारा वा  टूटल  समय स? फोटो लेल
सब कियो अपन घर क जयंती लय चढ्बय अबैत छथि
हमरा लगैत अछि नीक रहैत  सामूहिक जयन्ती स्थान स सब अपन घर ले जायक परम्परा रहित- मुदा मैथिल अछि अहमवादी आ व्यक्तिवादी -
काफी भीड़- हमरा लेल  कोनो  गाममे देखल ई पहिल अवसर छल (अपन गामक एहेने स्थान मुदा मूर्ती नहि) मे हम कहियो नहि गेलंहु
लोक क उत्साह अपूर्व छल मुदा लागल सब भौतिक कामना लेल पूजा करैत छथि की?
फेर  नब बनल दुर्गा  आ कालीक मूर्तीक दर्शन कायल

ई नहि जे कुर्सो में २४ .१० .१२ क हमर मीटिंग नहि भेल ( हम  एही लेल अपन रांची डेराक जयन्ती बिनाकटनहि नवमी पाठ कय अपन गाम नहि जा प्रवीणजीक गाम घुमय लेल नहि गेल छलहूँ)
भगवती दर्शनक बाद सीधा ड्योढी बैसारमे गेलहुं जकर सूचना प्रवीणजी सब के देने छलखिन
कुर्सो ड्योढ़ीक एही पोखरिक एक कात प्रायः पुवारी भीड़ पर ड्योढीक दशहरी प्रेम मिलनक परम्परा जे लगैत अछि जमीन्दारीक आभाष करेबाक ई परम्परा एहि ड्योढीक संस्थापक निहाल सिंह चौधरी क समयस चलैत होयत जे महाराजा दरभंगाक अधीनस्थ रहितहूँ हुनक बराबरीक आश रखैत छलाह, सौराठ सभामे पहिने  कूप खोदवेने  छलाह फेर महाराज की पोखरी अपन इज्जत बचबे कोदावल गेल वा लोकक उपकार लेल ,हुनक संतान चौधरी गच्छक वत्स गोत्रीय छथि जे मकरमपुर, मधुबनी लगस आबी एतय बसलाह
२४.१०.१२क हमारा सन सर्वहाराक ब्राह्मणक भाषणक केंद्र बनि गेल ई बैसार जे सिद्धान्तः कमुनिस्ट नहि अछि मुदा जीवन शैलीमे राजेश्वर रावस तुलना भोगेन्द्रजीक एक सहकर्मी वृद्ध केने छलथि.  ओना प्रवीणजी क पिता स्वयम सोसलिस्ट रहल छलथि आ सूरज बाबुक सहकर्मी 
हमरा एहेन बैसार क कल्पना नहि छल जे हम बैसार बाद बुझलहूँ  - हमरा लगैत छल जे ओ गामक मीटिंग पूजाक अन्वीक्षण लेल मुदा नहि ड्योढीक छल जे प्रथम दृष्टया  हमारा अपन समाजवादी विचारमे सामंती ठाठ लागल मुदा एहेन एक बैसर्मे हम श्रीनगर ड्योढी पूर्णिया  लग  २००६ में गेल छि मुदा ओ हमर बीमार आ मैथिली कार्यकर्ती श्रीमती रानी झा क नैहरमे भेल छल  आ ओ हमारे लेल खासकय गेला पर भेल छल आ ओतहु कुमार साहेब मिथिला राज्यक समथन केलथि
कुर्सो में हम सब किछु बजैत गेलहुं मिथिला राज्य, राष्ट्र, देश , आदि पर
हमर मिथिला राज्य पर भाषण भेल आ किछु धार्मिक प्रवचन .. जाहिमे किनको आपत्ति भेलन्हि हमर पंडित भवनाथ मिश्र क १९०२ क हस्तलिखित दुर्गा सप्तश क पाठक कवचमे द्वितीयं ब्रह्म्वादिनीम क ब्रह्मचारिणीम नहिक पक्षमे कहला पर मिथिला पद्धतिमे कवचक पाठ पाहिले नहि अर्गला , कीलक बाद होइत छैक आ अनेक पाठभेद पढि बता देल .. कारण .. गीता प्रेस एहि लेल जे कोनो मिथिला प्रेस नहि बनल तेहेन .. मिथिला राज्य नहि बनल ..सम्पूर्ण श्रोता एकमतस अंतरराष्ट्रिय मैथिली परिषद्क आ मिथिला राज्यक समर्थनमे - श्री प्रेमजीके संयोजक बनाओल गेल
आबी काय भोजन भेल द्योधीक जिलेबी आदि चलते भूख मरी गेल छल तथापि
प्रवीण क  परिवार देखल फोटो  लेल  -3 बेटी  अम्बा अम्बिका , अम्बालिका (हमर  नामकरण ) आ  बीटा  हरी  आ छोट भाई सबस परिचित भेलहूँ
एक भाई रक्त कन्सरस पीड़ित हुनकास भेंट भेल
 अपराह्न तीन बजे पुरनका मंदिरमे सर्वजातीय सभा रखल गेल मुदा जाहि युवकके भार  देल गेल सूचना लेल ओ अनठा देलक भसान चलते आ हम आ प्रवीणजी एहि लेल गाममे संपर्क लेल निकललंहूँ   - गामक बीच एक ठाम पक्की सडकक  कात पैखान चलते दुर्गन्ध छल (यद्यपि ब्लीचिंग पाउडरक छिडकाव भेल छल भसानक मार्गमे हेबाक चलते ) जाहि पर दोसर दिन ग्रामीण के बतावल  जे बिनोबा जी खुरपी आन्दोलन चलौने छलाह पैखाना लेल एक हाथ में खुरपी लय - आब बिन्देश्वर पाठकजीक प्रयासस कतहु सुलभ शौचालय भेटी  जायत- ग्राम सभा इ बांबे से सलाह देल 
मंदिरक दर्शन फेर कय अयलहूँ  मात्र एक व्यक्ति श्री उपेन्द्र चौधरी अयलाह ओना ओ  महत्वपूर्ण छलथि आ ओही समय मालूम भेल जे हमर २५.१० क बेनीपुर- बिरौलक कार्यक्रम रद्द  भय गेल कारण जिनका व्यवस्था करक छल ओ कोनो मृत्यु कारण सिमरियाक रास्तामे छलाह - हमरा दुःख एहि बात लेल भेल जे कोनो तैयारी हुनक द्वारा नहि छलन्हि जे हम दोसरहूँक संग उम्हर जैतन्हूँ  आ सूचना हुनका देबाक छलैन्हि हमर फोन पर ई मालूम भेल -अस्तु ई त प्रारंभहि छल आगाँ पूरा यात्रा एहिना होइत रहल जाकर विवरण भेटत 
समय खाली छल ताहि हेतु ई तय भेल जे २५.१० क ९ बजे फेर ओतहि बैसार हो आ भसान लेल गेलंहु
भीड़ काफी छल - हमर भाई क सासुर भगवती स्थान  क सामने - ऊपर हुनक सासु, सर हुनक फोटो खीचलन्हू- संगमे बैजूजी(दरभंगाबला  नेता नहि) छलाह जे भुजी क संग हमर गाम समौल आयल छलाह पहिल बेर
कुर्सोक  लोकक  किछु  विचित्र  हाल --(हमर 'हीरोइन ' भौजीक  गाम  अछि  ने _   स्वयम  रोल  नहि  केलिह  मुदा  बेटा  कय  रहल  अछि  श्रेय  हमर  भाई  डॉ  केष्कर  के  दैत  छथि  !
दुर्गापूजामे  कालीजीक मूर्ति  सेहो  बनैत अछि    से  दशमी  दिनही  भसा  देल  जैत  अच्छी  )- के  करय  दोबारा  काली  पूजा  (दीपावली  राती  तक  पूजा    एकही  खर्चमे   दशमी  संग  भय  जायत  पूजा    भसान !)
 सामने युवा सबहक़ फ़ास्ट डांस भोजपुरी गीत पर जे हमरा ठीक नहि लागल  से हम दोसर दिन बैसारमे कही देल
प्रवीणजी कीर्तनिया बीच लय गेलाह -ओहुना हमरा  भीड़ भाड़ पसिन्न नहीं - हम कहने छलियेन्ही जे मंदिरमे विश्राम करब जतय सामने अंतमे मूर्ती पोखरी लेल अबय बला छलैक मुदा से प्रवीणजी मानलाह नहि - नीके भेल पहिल बेर जीवनमे हम एहेन कोनो ग्रामीण भसानमे भाग लेलहूँ
 भसान लेल  तैयार  मुर्तिक  समक्ष  सर्वजातीय   कीर्तन  होइत छल आ -मुख्य  कीर्तनिहर  एक  अब्राह्मण जे  सामाजिक  समरसताक   संवाहक 
प्रवीणजी स्वयम झूमि  झूमि नचारी गाबी रहल छलाह मानो   भांगक गोला देने होथि
बहुत देर बाद मूर्त्ति उठाओल गेल
हम कह्लियेन्ही जे सामने भिक सासुर फॉर्मल विजिट काय ली बादमे समय नहि रहत आ छात परस प्रवीणजी अपन भाई यानी हमर भाईक सार के बाजुलाह आ फेर हुनक माताजी अयलीह जे हमर घरक नाम श्य्म्जी स बुझी गेलीह हम के छि?
बिना मिठाई खुवौने नहि अबय देलीह  -ओना हुनक भीतर गेला पर लागल छल से कंही धोतीक चक्कर  नहि हो मिथिलाममे ओना धोती नहि हमरा कुर्ता कियो देत  लय लेने रहितन्हू जे ओहि दिन नहीं छल
 भसानक भीड़ एतेक देरमे किछूवे डेग गेल छल मानो सब पुरुष महिला के कोहबरक  डेग  याद लेकिन ई छल
 युवाक  डी ज  पर  भोजपुरी  मे  थिरकबाक  फल .जाही  पर  प्रतिबंध क  बात  रातिमे  उठल  पोखरी पर प्रवीण जे द्वारा मुदा - लगैत  अछि  अपन  गाममे  प्रवीणके   धर्ममार्गी    अनुयायी  युवा  नहि
गामक  अबालवृद्ध पुरुष - नारी  भसान  लेल  लगक  एक  पोखरी  तक गेलाह जतय एक दालान पर हम सब रूक्लाहूँ -बहुत्दर कीर्तन ओतहु भेल आ उम्हर डांस -प्रवीण  कतहु  पाछाँ    रहथि- झूमि रहल छलथि

सोचने छलहूँ
  भोरे जे यात्रा विवरण पूरा कय लेब मुदा आई(१.११.१२क)  अचानक कुमुदस दरभंगा राजधानी विवाद में  फंसी गेलंहु आ ओ दोसरही  लेख लिखा लेलीह -साहित्य अकादमी आ संविधान में मैथिलीक अनसंग हीरो पर.. मुदा चली आब दरभंगाक विशिष्ट  गाम कुर्सो जाते सेहो एहेन विवाद राती में ओहि पोखरिक किनार पर सांझमे दुर्गा भसला पर एक युवा केने छल - दरभंगा नहि राजधानी  त मिथिला नहीं आ कहियो  मधुबनीमे  झुम्मकलाल कोलेजक प्रोफ गया प्रसाद चौधरीक ओतय मीटिंगमे  नहि मधुबनी आ दरभंगा त हम नहि.. हमरा एहि पर याद पडैत अछि गोलवलकर सहेब्क कथन नागपुरमे बेलगामक एक  संघक तृतीय वर्षक  शिक्षार्थी  पर - राष्ट्रवादी  हो या महाराष्ट्रवादी (कर्णाटक- महाराष्ट्र क बेलगाम विवाद पर जाही पर आजुक दिन क भास्कर में एक  लेख  मराठी क छलैक जे ओ सब गाम ओकरा भेटौक     मुदा ओ बिसरी गेलाह जे ओहिमे शोलापुर सेहो कर्णाटकके जेबाक छलैक - हमर भारतक प्रांत भाजनक नक्शामे केरलक कासरगोड कर्णाटक के भेटैत छैक
प्रश्न जे मिथिला चाहैत छि वा राजधानी - मधुबनी जकां कुर्सोमे कह्लियेन्ही हमरा एहेन कार्यकर्ता नहि चाही आ ओ दोसर दिन भोरे मीटिंग में नहि छलाह जे काफी सफल भेल- ओहि पोखरीक कट कृष्णानद चौधरीक  रावण स्तुति  पर चर्चा भेल जे कल्हियो फेसबुक पर चलल बहुत देर ठंढामे ओहि पोखरीक भीड़ पर रहलहुं आ अनेक ग्रामीणस बात भेल
दोसर दिन २५.१0.१२ क यथासमय काफी नीक बैसार भेल - श्री उपेन्द्र चौधरीक अध्यक्षता में - चंद्रशेखर झा, चतुरानन्द  चौधरी, ज्ञानदत्त कामत, रामचंद्र झा , मुक्तिनारायण चौधरी, जीबछ चौधरी, रामशंकर झा, फेकन कामत, बिलट झा, शिवशंकर झा, लालमोहन चौधरीमहेश कामत, सरोज झा, मोहन झा, दिगंबर चौधरी, नागे चौधरी, महिंदर कामत, राजकारण झा आदि  छलाह(४१ गोटे)- मुक्तिनारायण चौधरीअध्यक्षप्रेमजी संयोजकदिगंबर चौधरी सह संयोजक,  आ महेश कामत कोषाध्यक्ष भेलाह. करीब २ घंटा बैसार चलल - अनेक लोक प्रवासी छलथि जे ओतय काज करताह एहि गाममे प्रवासी पूजाक समय गाम अबैत छथि से नीक बात 
ई गाम व्यवस्थित बसाओल  गेल अछि विभिन्न जातिक लोकके लेल जगह पर्याप्त देल गेल छलैक 
ई तय भेल जे ओतय इकाई बनत  आ छ्ठी आदिमे एकर द्वारा किछु सामाजिक कार्य
आ  गाम पर  एक लेख पुस्तकार लिखताह प्रवीण चौधरी
कुर्सों गाममे हमरा शहर जकां  आबादीक अधिकताक कारण  कंजेसन लागल आ प्रवीणजी के रातिमे कह्लियेन्ही जे आब दोसर दिसि ओ सब निकलथि मुदा हुनक उत्तर छलनि जे केवल पूजाकालमे सब जमा होइत छथि
ओ स्वयम बिराटनगरस ३ घंटामे आबि जाइतछथि -धन्य वाजपेयी कोशी महासेतु

एक परिजन नशाखोरीक शिकार जकरा लेल बिहार सरकार राजस्व बढेबाक लेल शराब दोकान खोलब एक कारण मुदा ताहूस अधिक मानसिक अशांति गाम गाममे आ  हर शहरमे
महिला लोकनीके अधिक दिक्कत एहिस
हुनक घरक एक युवा महिलाके शुद्ध दुर्गापाठ  भोरे करैत देखि नीक लागल छल

जे ड्योढी निहाल सिंह चौधरीक  तीन भाग भेल उत्तर, दक्षिण आदि ओकर एक भाग दशोथ सेहो छैक आ किछु लोक गामक बाहर तक गेल छथि
आब जमींदारी नहीं छैक मुदा रुतबा जल्दी ख़त्म नहीं होइत छैक - राजा राधिका रमण प्रसाद सिंहक एक कहानीक पंक्ति 'अमीरी के कब्र पर जनमी गरीबी की घास बड़ी जहरीली होती है," हमारा हमेशा याद अबैत अछि .

कुर्सोक बाद पड़ाव छल झंझारपुरक कैंप  मुदा प्रवीणजीक  अनुज हमारा बैक स छोडे लेल बिदेश्वर तक गेलाह आ रास्तामे  देखल है स्कूल आ फेर एक चौक वस्तुतः हर जातिक लोक के अलग अलग व्यवस्थित बसाओल गेल अछि
बिसहारास्थानक फोटो लेल जे दसौथ्क भगवती आ कुर्सोक भगवती संग एक त्रिकोण बनबैत अछि मानो एकही चीजक तीन भाग
अनेक सुनल गामक रास्ता देखल जेना जयदेवपट्टीक, रसियारीक जतय हम दोसर रस्तास भेजा, बलथी होइत गेल छलन्हू१९९५मे डॉ लक्षमण झास भेंट करय

२५.१०.२०१२ क दुपहर कुर्सोंक कनिए देर बाद हम लगमामे छलहूँ  जाते ब्रह्मचारीजीके  २०.९. २००९ क देखने छलहूँ - हुनक समाधिस्थ हेबाक खबरि भेटल छल- समयाभाव छल मुदा मोटर  साइकिल वापस करय कहलियैन्ही - हुनका श्रद्धांजलि देने बिना आगाँ बढ़ब अनुचित लागल- हुनक सारा पर लागल तुलसी वृक्ष मानो  कहैत  छल जे ओ विष्णुलोकमे छथि -  किछु  फोटो आश्रमक   खीचल जे हुनक कीर्ति छनि- संस्कृत शिक्षाक केंद्र जाही लेल मिथिला कहियो प्रतिष्ठित छल से ओ स्थापित कय गेलाह अछि (२९.१०.१२ क रांची में सीसबैर गामक एक शिक्षक ओही स्थानस  स्नातक भेटलाह परिचय क्रममे)
अनेक छात्र आ किछु शिक्षकके देखल जाहिमे एक उच्च स्वरमे डाँटि रहल छलाह - हुनका सबके शांत रहय कहि मिथिलाक पर्चा देल आ अपन मैथिलीगीता.
 
छात्र सबस अमरकोशक बारेमे पूछल जे हम अपन ८-९ वर्षक आयु में पढैत छलहूँ - "यस्य ज्ञानदयासिंधो ..." हमर बजिते  ओ सब आगाँ बाजय  लगलाह, फेर इंद्रक नाम पूछल जाहिमे पहिले त नहि मुदा हमर "इन्द्रौ मरुत्वान मघवा..". कहला पर एक छात्र संग पढ़ैत   गेल --  हम बतावल कोना १९६२-६३ क एखन तक याद रखने छि यैह थिक संस्कृतक विशेषता, एक बेर पढू जीवन  भरि याद रहत. किछु  मिथिला राज्य लेल बता आगाँ बढलहूँ
ई रास्ता देखल छल- रास्तामे कनकपुर गाम पडल याद आयल रांची हाईकोर्टमे कार्यरत मैथिली कार्यकर्त्ता रामचंद्र झाक  मुदा ने मोबाइल लागल ने ओ गाममे छलाह - जल्दिये लोहना रोड क्रोसिंग पारकय धर्मपुर आ बिदेश्वरस्थान - देखलहुं पट खुजल फेर वापस भेलहुँ आ दर्शन आ फेर एक गीता पंडित जी के देल  २०.९.२००९ आ १८.१२.२०१० क बाद ई तेसर दर्शन छल  मुदा लगैत अछि अओरो एकाध बेर भेल अछि जकर रिकार्ड नहि अछि
बिदेश्वर चौक पर कल्पकवि उमेश नारायण कर्ण भेटलाह झंझारपुर प्रशिक्षण वर्गमे जाइत -ओ तिरहुता सीखबयमे अपन विशिष्ट  विधा रखने छथि आ इम्हर प्रायः सब वर्गमे अबैत छथि
मोटर  साईकिलबला संजीव एतयस वापस भेलाह आ हमरा तुरंत एक औटो भेटल झंझारपुर लेल भेटल  - रेल आ सडक पूलक  अजूबा सायुज्य छैक ओतय कमला पर से देखैत बस स्टैंड आ ओतयस टिबरेवाल स्कूलक वरामदा पर
शीघ्रहिं दिनेश पासवान अयलाह समय स. दरी चदरी  लयक आ  फेर अरूण  बाबु वकील आ वर्ग प्रारंभ भेल - उद्घाटन भेल आ सामान्य बातक बाद  हम मधेपुर लेल एक मिनी बस लेलहुँ
Mithila Jagarn Yatra  129 (III kist) – Jhanjharpur-Madhepur-Mhaisham-
२५.१०.२०१२ - क सांझ मधेपुरक  रास्ता जानल बुझल छल- लखनौर, लौफा, पचही ..इसरैन काहुर   जाहि पर ध्यान एहि बेर गेल एक सह्यात्रिनी  महिला के चामुंडा  देवी द्वार लिखलके देखि प्रणाम  करैत ,हुनक पति विजय सलेमपुरक सुधीर कुमार  लाल  अपन ससुर मधेपुर जा रहल छलाह- मैथिली सन्देश देला पर १० रूपा  देलाह से हम राखी लेल आ ५-१० प्रति और दय देलियेन्ही बाँटे    लेल - ओ अपन गाम दिसि आबय कहलाह
एही यात्रामे त चामुंडा  देवी क दर्शन नहि नही भेल, कहियो जरूर ओतय जायब ..ओही गामक ड्योधीक बेटी पुष्पा झा हमर बींमारके नाते  भक्त छथि कारण हुनक नुकायल कैंसरके वेटनरी डाक्टर जकाँ  बिना किछु हुनक बजने समय पर हमरा द्वारा पकडलास  ओ आब स्वस्थ छथि आ  रांचीक नौकरी देखैत सम्बन्धमे भौजीबला बात मुदा जाहि लेल आब ओहि गाम जायब ओकर कारन हेताह महेंद्र मिश्र जिनका चलते मधेपुर कैंप  भय पायल
मधेपुर जाइके पूर्व झंझारपुरस एक कार्यकर्तास बात भेल छल दू घंटा पूर्व सेहो आ किछु दिन  पूर्व सेहो जाहि आधार पर ओतय कैंप रखल गेल छल -ओना हम अपन पितियौत भाई    डॉ उमेश ठाकुरके सेहो कहने छलियेन्ही एही लेल जे २००९ इस्वीमे ओकर नाम बतौने  छलाह - संयोग एहि बीच रांचीमे मधेपुरक बगलके महिषाम  गामक  हेमकांत नाक युवा आबी गेलाह जे फेस बुकक माध्यमस हमरास जुडलाह जे कहलाह जे ओहो पूजा समय गाममे रहताह आ मोटर साईकिल रहत जाहि पर उत्साहित  भय हम दिनमे ३ कैंप (फुलपरास संगे) राखि  लेलन्हू
जखन मधेपुर पहुन्चलन्हू लक्ष्मीपुर चौक  पर   हेमकांत छलाह मुदा उक्त कार्यकर्त्ताक कोनो थाह पता नहि- चौकक सक्रिय युवा भखराइनक विजय झा पूजाक हिसाब किताबमे व्यस्त (ओना ओ बादहूँ में तीन दिनमे कहियो नहीं अयलाह)
लागल जे किछु नहि होयत से ओतय कहक चाही झंझारपुरस बढ़िया कैंप कोना भय गेल?
हम ११.१०.२०१० आ १४.१०.२०१० क ओहि चौक पर छलहूँ  आ कोनो दिन प्रसाद मोडक पान दोकानवालाक  ओतय बैसल एक वृद्धक इंटरवियु मिथिला राज्य पर लेने छलन्हू  हुनका ई याद दियावल अपन  व्यथा बतावल जे आयल छि ४ दिना कैंप  लेल - रास्ता पर ठाढ़ एक आदमी दिसि इशारा केलाह जे ओ पत्रकार राजकुमारजी लग जाऊ हुनका कहू आ हुनक बगलमे महेंद्र मिश्र छलथि- दूनू हमर बात सुनितन्ही संग ठाढ़ ४-५ गोटेके लय कहलाह चलू कॉलेज पर एत हल्ला अछि आ रास्तामे अनेक लोकके कहल्खिंह जे 'आबय जाऊ संगमे'- किछु लोक जमा भेलहूँ - सांझक समय ठाढ़े- ठाढ़ कॉलेजक झंडा पोलक सीमेंट कायल भूमि पर आ अपन बात रखल -उनका  सबके नाम फोन नोट कायल ( विजय कुमार, राजेंद्र झा, सीताराम मुखिया, इन्द्रकांत झा, लालन कुमार झा, महेंद्र मिश्र, कन्हैया झामहंथ झा, आ रोहित कुमार झा) आ जय जय भैरवी आ मोबाइल क रोशनीमें प्रार्थना  भगवन हमर मिथिला.. आखिर जानकीनंदन  सिंहक कर्मभूमि मिथिला लेल उर्वरा मधेपुर - कहलाह महेन्द्रजी मधेपुर बाढीक इलाका - हमर हाथ कांहक दू झोडास पहिले लगलैन्ही जे किछु खैरात बंटतैक    .. मुदा जे सन्देश भेटल से ओहि स अधिक महत्वपूर्ण आ दोसर दिन क ११ बजे क समय ओतहि निश्चित भेल
लागल जे समयक उपयोग आब भय जायत आ प्रसन्न मोनस हेमकांतक संग बाईकस बिदा भेलन्हू- मधेपुरक  गांधी चौकक  अन्हारमे फोटो खीचैत बजार होइत जतय  कहियो एक बेर रांचीक  लक्षमण राउतक सारस भेंट करय आयल  छलहूँ- महिषाम  दिसि पहिल बेर गेलंहु- रास्ता बहुत ख़राब  छल कहुनाकय हेमकांतजीक घर - हुनक पिता, कक्काके प्रसन्नता, एकाध आओर जमा भेलाह, पापांकुशा एकादशी छल - किछु देर मिथिला मईथिली आ फेर मैथिली गीता पर किछु देर बजलहूँ - फेर भोजन भेल आ शयन लेल बागलक दियादक खाली बडका मकानमे  - पेट  खराब भय गेल छल- कुर्सोक तरुआ आदि बहुत खेबाक कारण - ओतय त संकोचवश २४  घंटामे एकहि बेर सेहो  दोसर दिन भोरमे  पैखाना गेल छलहूँ एतय रातिमे तीन बेर पेट खाली  केलहूँ आ  दवाई सेहो एक गोटी खेलहूँ
२६.१०.२०१२ क महिषाममे भोरमे किछु मरीज देखलन्हू आ भोजन कय यथासमय मधेपुर कॉलेज हेमकांत संग पहुन्चलन्हू- रातिमे मालूम भेल छल जे साहित्यकार डॉ फुल्कांत झा "प्रवीण" हर्षपति महाविद्यालयक प्राचार्य छथि कॉलेजक केयर टेकर मंडलजी संस्थापक धर्मनानद सिंघजीक मूर्ती क नीचा पानी दयक साफ़ केने छलाह - ओतहि बैसलहूँ किछु देरमे किछु युवा अयलाह - मंडलजी कहलक प्राचार्य सेहो आयल छथि- हुनक नंबर देलक फोन केलि
येन्ही - ओ किछु देर लेल अयलाह हुनका दरभंगा लौटबाक आवश्यक छलैन्ही - बादमे किछु और लोक अयलाह वर्ग भेल- महिंद्र मिश्र कहलाह जे २७ क जरूर बहुत लोक ३ बजे रहताह - फेर हम टेम्पूस झंझारपुर गेलंहु - ओतय कल्पकवि छलथि आ वर्गमे तिरहुता सीखा रहल छलथि- फुलपरासक समय ३ बजे छल ताहि हेतु हम विदा लयक एक मिनी बसस निक्ललहूँ - चौक पर उतरक छल जेना रातिमें बात भेल छल ठाकुरजी शिक्षकस जिनका भार देने छल्खिंह ओतुक्का निदेशक- ओही संस्कार भारती ग्लोबल विदयालयक खोज हम १७.१०.२०१२ क नेटस कय सम्पर्क केने छलहूँ , १८.१० क फुलेश्वर बाबाक फोटो बहुत दिक्कतस तकैत- तकैत बलराम झाक पेज पर भेटल छल (हुनकास बात सेहो भेल जे दिल्लीस गामक रस्तामे छलाह )जे सब जोड़ी कार्यक्रमक  नीक सूचना पत्रक बनौने छलन्हू. आ नीक बात भेल छल निदेशकस कारण एकर पूर्व पुरान परिचित धैर्यनारायणजी अपन व्यस्तता बतौने छलाह आ चन्देश्वरस्थान एक शिक्षक अपन विद्यालय में करबा दितथी मुदा बुखार भय गेल छलन्हि -मधुबनीक वकील सोहनजीक गाम उम्हरे रोड पर मुदा ओ दिल्ली दिसि २६.१० क जाइबला- एहेनमे निदेशक रविजीस सौमनस्य बात भेल छल आ फेर फेसवुकक बलरामजीक पेजस संपर्क लय हुनक पिताजी आ आ एक आन वकीलस सेहो बात भेल छल आ फेर २५.१० क सेहो रविजी द्वारा निदेशित दूनू शिक्षकस बात भेल छल- हम मोने मन खुश छलन्हून जे नेटक द्वारा सेहो काज संभव छैक तकर ई उदहारण होयत - चौक पर उतरि किछु दूर पर आगा ब्रिज पार कय ओही स्कूल लग जाइत याद आयल जे २३.९.२००९ क ओतहि हम नुक्कड़ सभामे युवा नाटककार आनंद झाक संग भाषण देने छलहूँ आ एक पत्रकार वीरेन्द्रजी काफी नीक रिपोर्टिंग केने छलाह - विदाय्लय बंद छलैक कार्यालय मे जे आदमी छल ओकरा किछु नहि बुझल - मनो भरि पाइन अपन आशा पर पडल मुदा बिना किछु प्रकट केने कहलियेन्ही जे निदेशक छथि ने शिक्षक ठाकुर जी आ कौशलस बात हमर जरूर भेल छल मुदा जखन ककरो सूचना नहि ? जे पत्रक अनने छलहु जाहिमे ओही विद्यालयक नाम आदि छलैक तकर एक पृष्ठ आ अपन मैथिली गीताक एक प्रति आ एक मैथिली सन्देश निदेशक के अएलापर देब कही (विद्यालय  निदेशक श्री रवि २७.१०क  रातिमे हमारा फोन केलन्हि जे ओ बहुत दुखी छथि  आ २८-२९मे ज  कैंप संभव हो  वा २८-३१ धरी मुदा हमारा २८ क लौटक छल आ अध्यक्ष कमलाकांतजीके हम २९ क कार्यक्रम रद्द करा चुकला छलियेन्ही,(जे बहुत मुश्किलस कोजगरा अछैत तैयार भेल छलाह)  कैंप चारी दिन स कममे नहि  हेतैक ताहि हेतु कहलियेन्ही जे एकरा एखन स्थगित बुझु रद्द नहीं आगाँ नीक जकां करब  घोघरडीहाक संग जकर  आश्वासन  हमरा २७ क भोरमे  कवि नारायणजी द्वारा भेटि चुकल छल ) हम ओहि कर्मचारीस   पत्रकार विरेंद्रजी द पूछल -हमर अनुमान सही छल ओ बगलन्हीमे - गेलहुं त ओ कतहु निकलि गेल छलाह मुदा पटनामें पढ़य बला हुनक पुत्र नीक जकां बात केलाह ओतहु अपन साहित्य . गीता रखल आ बलरामजीके पिताजीके बजावल जे प्रतीक्षारत छलाह- ओ एलाह - हम कह्लियेन्ही ओ चारि दिन १५-२० गोटेक समय १-२ घंटा दिया सकैत छथि ताकि एक वर्ग भय जाय ? ओ कहलाह चलू काली मंदिरक पूजा समितिक बैसार छैक ओतहि निर्णय होयत.
ओतय सब हमर बात सुनलाह - अध्यक्षता करैत एक वित्तरहित महाविद्यालय क मैथिली शिक्षक अनुप्रास, छंद में हमरा बारेमे महानताक बात राखैत अपन असमर्थता आ दोसरहूँ लेल निराशाजनक प्रस्तुति केलाह जाहि पर हम कह्लियेन्ही जे हमारा अंहाँ सबस वित्त नहि चाही- समय चाही तीन दिन १-२ घंटा कय आओर - आजुक एही बातके पहिल दिन मानि लेब- हम मशहरी लय चलैत छि- एही मंदिरहूँ पर सूती रहब.. काल्हि व्रत अछि , खेबाक सेहो चक्कर नहि २८ क अध्यक्ष अओताह केवल हुनका लेल रहक यदि व्यवस्था यदि काय सकी २८ क राती वा भोर २९ आबी जेताह आ वर्ग समाप्त भय जायत.. मुदा यदि एतेक साकांक्ष रहितथि ..मिथिलाक ई हाल थोड़े रहैत.. बुझु  हमर बात सन सुनलाह -एक जागरण मीटिंग भेल जे समय देलाह सैह बहुत जाहि पर फोन स जानकारी रातिमे लयक दोसर दिन वीरेंद्र जी नीक समाचार छापलाह जागरणमे
कनी देर बलरामक दोकान पर बैसलन्हू - ओ अफशोश प्रगट केलक फेर चौक पर देखने छलन्हू- घोघरडीहा ८ किलोमीटर यानी कवि जीवकांतजी क गाम देव्ढ़ ६ किलोमीटर, एतेक पैदल सेहो जा सकैत छलहूँ मुदा एक जीप स १५ रूपा दय अयलन्हून हुनक गाम पहुन्चलहूँ आ हुनक घर..
२६.१०.२०१२क सांझ जीवकांतजीक संग साहित्य चर्चामे बीतल. हुनका बातक विडियो अछि-हमरा नहि अबैत अछि कोना लोड करी  पूरा मैथिलीक वांग्मय  रखलन्ही जे २७.१०.१२ क भोरमे सेहो दोहरेलन्ही
मूल बात ई जे मैथिलीमे पहिने सुमनजी आदि संस्कृत क विद्वान् लिखैत छलथि आ अंगरेजी क विद्वान् रमानाथ झा आदि जे सब मैथिलीक  बहुत सेवा केलखिंह मुदा बादमे एही लीक स हटि यात्रीजी सन लोक आयल जे एकरा बांकी पैघ जनसमुदाय जे सब मैथिली बजैत छलाह आ छथि क साहित्य बना देल्खिंह
मैथिली  साहित्यमे एखन विश्व साहित्य क सामान अनेक विषय मे उच्च लेखन होइत अछि आ हुनक अपन्हू लेखान्पा र्लोग फ़्रांस , इटली आदिक लेखकक प्रभाव बतबैत छथि
लेखकके हज़ार प्रति नहि बिकायत छैक
मोबाइलक चलते बेटा सबस बात होइत रहित छनि- पत्नी सेहो बुढ भेलखिंह , बेटाक फोने अयलैन्ही मुदित भय बजलाह 'आई धनाकर ठाकुर आयल छथि मोन लागी रहल छनि ,' हम बेटाके कह्लियेन्ही जे ई प्रकृति प्रेमी कवि  तकलीफ होइतहूँ  गाम नहि छोडताह मुदा हुनक देखभाल लेल आवश्यक जे ओ अहाँमे  किनको संग रहथि ,जतय दस युवा जागरूक मैथिल हुनका स सीखय आबीकयम जन ओ अहंक कनिया केन उच्छ्नर  नहि लगैन्ही एक कप चाह  देबामे त उम्हरही  रहनाई नीक. हम जीवकान तजे एके कहलियैन्ही अहाँ स बहुत युवा अजित आजाद, केदार कनान, नयन्जी आदि प्रेरणा लें इ छथि - ओ शालीनतामे बजलाह ,'नहि हम कोंकहूँ नहि देने प्रेरणा देने छियेन्ही सब अपने लिखैत छाहती भनहि हमर नान जरूर लैत छथि'
ठेहुन जोड़ क दर्दस परेहान हमर बात कामोद क नहि मने छलाह जे लिखने छलियैन्ही - भारी स्गारीर स और बढ़ैत छैक ई प्रकोप ओबा आब घुटना क प्रतिरोपण होइत छैक मुदा.. के करौत  ?
ई बजैत हम अपना बारेमे सेहो सोचे लगलहूँ - हमरा संग पत्नी सेहो नहि , हम आब आगाँ कतय रहब, के देखत? तखन हमरा लेल आर्थिक ओ कठिनाई नहि रहत  जे जीवकांतजी सन सेवानिवृत्त शिक्षक के छैक- यद्यपि मकान  बनि गेलैन्ही अछि नब मुदा कहलाह जे लिखई छि से पठबयमे पचास टाका  निबंधित डाक वा स्पीड पोस्ट मे लागी जायत अछि?  ( हुनका अपन मैथिलीगीता ऊपर समीक्षा लिखी पठबय कहला पर ).
हमरा लागल जे  कहियो कोनो पुरस्कारमे निर्णायकमे हुनकर  नामक अनुसंशा कय नीक केने छलन्हू जे किछु पाई हुनका भेटल हेतैन्ही - ओना त सब साहित्यकारक एहेने आर्थिक स्थिति छैक आ ओ ओहि लेल पूर्ण योग्य छलथि आ हम एक अयोग्य निर्णायक जे एक योग्य निर्णय जरूर देने छल जाकर हमरा खुशी छल- हमरा लग हुनक दर्जनों पोस्टकार्ड  होयत जाही पर आ आधारित एक लेख मे हम हुनक किताब चिरई , चुनमुन , गाछ, बिरिछ पर देखि मैथिलीक वर्डस्वर्थ एक लेखमे लिखने छलहूँ जाहि पर एक मैथिल पटनामे हमरास कठविवाद केने छलथि - वस्तुतः हम सब अपन आदमी के मोजार नहि दैत छि जब्त ओ विदेश स सर्टिफाइड नहि हो भनहि ओ स्वामी विवेकानंद लेल कियैक नहि हो.. स्वामी दयानदके  के  मोजर देत जे महान  काज केलाह- कालिदास फेल आ शेक्सपियर   फर्स्ट
ई मानसिकता  हमर बदलक चाही
कखनो जीवकान्तजी क मोन मे निराशा छलन्ही- सांझमे पुछलियेन्ही लोक किछु जमा हेताह? कहलाह ककरा  मैथिली स प्रेम अछि. कियो कवि लिखने अछि तेसर विश्वयुद्धक बाद  कतहु- कतहु लोक बांचल रहताह जेना सुखायल खेत मे कतहु कतहु  किछु  धानक गाछ  रहि जाइत छैक - हम कहलियेन्ही एहेन बात नहि फेसबुक पर हजारों युवक जुडल छथि
हुनकर मोन छलनी  जे ओ सेहो फेसबुक आ नेटस जुडी जैतथि मुदा बिजली कमही  रहैत छनि-
बहुर बात भेल खाई लेल आ सूती लेल सब सुविधा देखलाह- हुनका लग नब मिथिला दर्शनक अंक छल जे पढ़लहुं    आ भोर मे फेर बात होइत रहल जाइत काल कहलाह-"अहाँ विजयी होऊ, मिथिला राज्य हमरा सबके देखाऊ"
ई हमरा प्रति हुनक उत्कट प्रेम क अभिव्यक्ति छल - फुलपरासमे कैंप नहि भेल से दुःख  चली गेल -२३.. २००९ क  संवाददयक हम मोटर  साइकिल अभावमे नहि जा सकल छलन्हू आ फुलपरासस सीधा लौकहा चली गेल छलहूँ 
२७.१०.२०१२ क भोर अपन हल्लुक भेल झोऱा टांगी  घोघरडीहा देल बिदा भेलाहूँ - रातियेमे कवि नारायणजीस  बात  भेल छल जे स्टेसन  लग मंदिरमे बैसार  ९ बजे   रखताह- देव्ढ़क मदिर परिसरक फोटो लेल - मोन भेल कहियो ओतय हमर कार्यक्रम  होइत आ फेर जर्जर होइत उच्च   विद्यालयके  सेहो आ मोनमे बात उठल मंदिर एतेक नीक आ सरस्वतीक मंदिर? आखिर एही हेतु प्राइवेट विद्यालय खुजी रहला आ थोद्बे दूर पर देखलहुं एक आवासीय बालिका विद्यालयक कक्ष मदर टेरेसा  लक्ष्मीबैक नाम पर. नीक लागल ई सोची जे आब मिथिलाक  पिछड़ा क्षेत्र क बालिका लेल सेहो अभिभावक चिंतातुर भेलाह अछि!



घोघरडीहा  हम २६.१०.१९९५क गेल छि जतय कवि जीवकांतजी कवि नारायणजी आदि स्टेसन पर बाढी  पीड़ित लेल एक मेडिकल कैंप हमरा लेल आयोजित केने छलाह आ ओतहि अजित कुमार मिश्र उर्फ़ 'आजाद' स पहिल बेर भेंट भेल छल जखन ओ मरीजक पुर्जी सब कटलाह  आ दवाई बुझबैत छलखिन आ फेर हुनक गाम हटनी सेहो गेल छलहूँ-  २०.२.१९९६ क फेर जीवकांतजी , नारायणजी आ रणजीत पाठक भेटल छलाह - २७.१०.२०१२ क जखन पैदल प्रवेश कय लघु नगर के पार  केलहूँ  मोनमे अनेक स्मृति छल खास कय रांची मे कार्यरत एक सहकर्मी जे किछु दिन पूर्व अपन कठोर टिप्पणीक कारण हमर मोनस उतरि गेल छलह यद्यपि हुनक घरक सेहो एही बेर हम पूछ गीछ कायल आ समय रहिते जरूर गेल रहितहूँ- नहि जनि कतेक बेर हुनक पत्नी हमरा जलखई  करौने हेतीह , जिनक नैहरमे सेहो हमर स्वागत कहियो भेल छल
घोघरडीहा एक बाज़ार अछि पंडौल सन - बीच बाजारमे एक स्वतन्त्रता सेनानी  मंडलजी क नाम पर द्वार देखल  स्टेसन अयालाहूँ - गाडी ११ बजे क १२ बजे झंझारपुर  जाईबाला बतौलक- टिकट गाडीक समय- एक पर्चा हटनी मे ३० .१०.१२  क होमबला मिथिलांचल कोशी  विकास समितिक  जाहिमे दिल्लीक अखिल भारतीय मिथिला संघक विजय झा आ बेनीपट्टीक  मिथिला राज्य विरोधी विधायक  बिनोद नारायण झा क आगमन क सूचना  ओना ओहि मीटिंगमे जहां  विजय झा हाई डैमक वकालत भोगेन्द्र झाजी जकां केलथि जे कोशी हाई डैम  बनाऊ- विधायक बिनोद नारायण झा एकर विरोध केलखिंह जे एही स मिथिला के  की क्षति हेतैक तकर आकलन एक विशेषज्ञ  समिति करय
 
वस्तुतः हाई डैमक भ्रामक नारा देब बला राजनीति करैत छथि  -  कोशी हाई डैमक खर्च  १९९७ मे २२६०० कडोर  रूपा छलैक - २००७ मे डी पी आर( डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट ) बनक  छलैक जे आ फरबरी २०१३ के समय देल गेलैक अछि - सम्भव ८०००० कड़ोड़ रूपा खर्च आब हो  से भइयो  गेल तैयो की नेपाली जनता एकरा बन देतैक?
बाँध  क्षेत्रक मालिक इंडीजीनस लोक मानल जाइत छथि
नेपाली लोकक कथन छन्हि जे  गंडक कोशीक योजनास लाभ भारत के भेलैक आ ओकर कीमत चुकौलक नेपाली जनता
 चीन मौक़ा देखि रहल अछि- एखन एवरेस्टके पार करयबला बिजली ट्रांस्मिसन लाइनक तकनीक  नहि छैक से यदि भय गेलैक डैमस उत्पादित बिजली ओ लय लेत आ ओ नेपाल के सब तरह स लोभा रहल अछि
जे सतलज, जिंदल आदि कम्पनी नेपाल मे छोट - मोट बाँध क  काज काय रहल छथि  हुनका ऊपर नेपालक जनता ओतुक्का सुप्रीम कोर्टमे केस केने अछि - ओ सब आस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडेन क एहेन कम्पनीक विरोध नहि करैत छथि- विरोध केवल भारतक  होइत अछि
वराह्क्षेत्रमे जे कोशी हाई डैमक बात अछि ओकर कुल ७४००० वर्ग किलोमीटर  कैचमेंट क ५९००० वर्ग किलोमीटर  नेपालमे अछि  ( तिब्बत चीनस अबयबाला), भारतमे मात्र १४००० वर्ग किलोमीटर  क्षेत्र अछि
शीशापानी क कमला पर हाई   डैम क १४०९  वर्ग किलोमीटर  अछि  आ नीचा ५८२३   वर्ग किलोमीटर
बागमती  आ कमलाक हाई डैमस  किछु  लाभ  नहि  होयत
कोशी  हाई  डैमस किछु लाभ संभव  मुदा जहियो कहियो ओ बांध टूटत १० लाख लोक सीधा गंगा सागर मे जेताह
१४०००  वर्ग किलोमीटर कुर्सेला तक  तटबंध के  बाहर  पानी आओत  –जलजमाव  ज्यों के  त्यों रहत  तटबंधक दूनू दिसि
कोशी पहिने १५   धारमे  फैलल छल  – लगुनिया   धार  १९ ४८   क  जाकर   बांधी  देल गेल (जे एखन  कोशीक धार अछि)  - ई १५००  फीट  ऊपर भय गेल आन धार स अपन गाध आदिक कारण
बांकी धार  अपन  लेवल  पर -  बांध  टूटत  त   नदी मे  पैन के  वापस  नहि  जाय देत छोट छोट  धारा सब के  जीबित कायल जाय जकरा  कुर्सेला , साहेबगंज तक स्वतंत्र  रूपस ल जायक गंगामे मिलायल जाय हमरा विचारस  एकमात्र हल अछि कोशी बाढी क स्थायी रूप स आ एही स दिनेश कुमार मिश्र  सन विशेषज्ञ  सेहो सहमत छथि  ,
बागमतीक नुन्थरमे जाही बांधक बात अछि ओहि मे केवल १४३८४ वर्ग किलोमीटर  बदलाघाट  तक भारतमे   अछि केवल २७०९ वर्ग किलोमीटर  नेपाल मे -एहेन योजनास की लाभ-भोगेन्द्र  झा क संग जुलुस निकालय बला शिवहरक पूर्व विदेश उपमंत्री हरिकिशोर सिंह स जखन पूछल गेलैन्ही जे ई अन्हां के मालूम अछि - ओ बजलाह इंजिनियर ई सब बात कहाँ  कहलक?
डॉ जगन्नाथ मिश्र कह्लखिंह जे  कोशी हाई डैम कहियो नहि बनत- एकर पक्षमे भाषण ओ वोट लेल देत छथि, ई कहला पर जे बात टेप रेकोर्ड भय रहला छि ओ कहल्खिंह   अहाँके  पहुँचही कतेक अछि  आ कनी  जाकय लालू , नीतीश रामविलासस सेहो पुछू -आखिर ओहो सब केन्द्रमे रहलाह छथि  मंत्री . डॉ मिश्राक कथन जे जनताक संगठन नहि अछि
हमरा लगैत अछि जे सब पार्टीक नेता राजनीति करैत छथि जनताके बेवकूफ बनाबैत छथि
कोशी हाई डैम बाढीक निदान अछिए नहि भनहि ओहिस किछु बिजली भेटी जाय
 बाढीक  संग लोक के जीबाक आदत हो आ खेती तेहेन.. पैघ बांधक लाबी छैक दुनियामे ओ बनबय  लेल दबाब पड़तैक सरकारक समझौता सेहो भय  जाय मुदा नेपाली जनता ओतय फायरिंग करैत अछि  इंजीयर प्राण बचा भगैत छथि
मिथिलाकक  ऊर्जाक निदान की? परमाणु ऊर्जा हम १९९३ स कहैत रहलहुं -पहिले जमुईमे आब कुर्सेलामे बात सुनय  छि
किशनगंजमे गैस निकलि जाय से संभव
या त्रिपुरास गैस पाइप लाइनस मगायल जाय
कोयला आधारित हमेशा स्थानीय लोकक आन्दोलनस बाधित रहत
वाजपेयी कोशी महासेतुक पुणे क एक कंपनी कहने छलैक १० किलो मीटरक पुल बनू मुदा खर्च कम करय लेल १.७५ किलो मीटरक मात्र बना निर्मली- भपटियाही प्रखंडक अनेक गाँवके उजाड़ी देल गेल जिनकर  कोनो  पुनर्वास नहि भेल अछि   जे हेबाक चाही - एही हेतु पटनाक ग्लोबल पीस एंड जस्टिस  फाउन्डेसन    काजकय रहल  अछि  जकर हम समर्थन करैत छि
तहिना कोशी  हाई डैम महाप्रलय आनत जकरा कुशहा  जकां बाद मे साटलहूँ   नहि जा सकत .३०.१०.१२क मीटिंग क आयोजक शम्भुनाथ मिश्र  रामचंद्र कामतस आई बात भेल . शम्भू नाथ मिश्र मिथिला राज्यक पक्षमे नहि विकास क लेल उत्सुक - कह्लियेन्ही अपन एक समय सीमा  एकर तय काय ली आ बिहार सरकार यदि पूरा नहि करय हमरा संग आबी जायब. हम १९९३ मे एहेन सब प्रस्ताव विकासक पठा ओहि समयस लागल छि "-मिथिला नाम केवलम"


२७. १०.२०१२ क भोरमे घोघरडीहा स्टेसन लग मंदिरमे किछु लोक के जमा देखि लागल जे मीटिंग लेल छथि  मुदा ओ सब ताश  आ जुआ खेलयबला छलथि जाही लेल कियो कही रहल छलखिन जे ओतय मदिरमे फ्लश छोडि आन  किछु खेलु - गाम-गाममे ताश खेलक प्रवृत्ति ( आ तहिना दारू पीबाक प्रवृत्ति कोना ख़त्म होयत?)

ओतय अपन बैनर टांगल कवि नारायणजीक फोन नहि लागल   स्टेसन पर अबैत- जाइत लोकस जे मंदिर अबय छलथि  हस्ताक्षर करबय लगलहूँ मिथिला राज्यक पर्चा दैत आ ओहिमे एकके  नारायणजी के  देखय कहलियेन्ही की ओ आबि  गेलाह आ एक छोट मोट मीटिंग बुझु भय गेल - मिथिला राज्य लेल
 जे लोक संपर्क मे अयलाह ओहिमे बेचन झा, पूर्व शिक्षक, शिवनारायण झा, नवलकिशोर झा, विमलकांत झा, दीपक कुमार झा  , सत्य नारायण मंडल, पंडित श्रीरामजी व्यास, ताराकांत झा, राजीवरंजन  बिहारी, कौशल   किशोर झा, गिरधारी कुमार, रोहित कुमार मिश्र , सज्जन कुमार झा, वशिष्ठ नारायण झा (जे तिरहुतामे हस्ताक्षर केलान्ही) , ललित कुमार झा, देवनारायण झा, रघुमनाथ झा , सुमित कुमार झा, निर्मलकान्त झा, श्रीनाथ मिश्र, हरेकृष्ण झा, राजकुमार मंडल  (जिनका शांडिल्यस भ्रम भेला पर एखन फोन केलहूँ), मनोज कुमार  झा आदि
 सबस विचार भेल जे कार्यकर्ताक प्रशिक्षण लेल  ओतय एक कैंप कायल जाय  - महादेवमठमे सेहो एक कैंप हो  आ सुपौलमे जे  ओतयस लग छैक
 
नारायणजीस अनेक चर्चा भेल जाहिमे   १९६३ मे जनमल  एक  युवा  लेखिका इ  अल जेम्सक फिफ्टी  शेड्स  ऑफ़  ग्रे  किताबक बेस्टसेलर  किताब क चर्चा केलैन्ही जाकर ४ कड़ोर प्रति बिकी चुकल छैक आ २-१२ क नोबेल लेल  ओ नामित छलीह  ओही किताबमे  २२ सालक अना   क  भेंट २७ सालक क्रिस्टियन ग्रे स होइत छैक  आ यौन सम्बन्ध सेहो मुदा ओ  बादमे कहैत अछि जे ओकर यौन सम्बन्ध  १५ वर्षक अवस्थामे अपन माताक दोस्त स भेल छल  यानी एहिमे एक युवाक   ५०-६० क बीच महिलाक  यौन  वृत्ति  पर  लिखल ई किताब अछि जाही मे सैडिस्म सन सेक्सुअल परवर्सनक चर्चा अछि
हमर प्रदोष  व्रत छल मुदा  ओ नहि  मानलाह आ सेब खरीदवा  कटवा कय लय अनलाह जे
ट्रेनक समय लग भेला पर स्टेशनक खुला प्रतीक्षालयमे गेलहुं जाते १९९५ मे मेडिकल कैंप लगौने छलहूँ   ओतहि खाइत देरत  हुनकास बात करैत  रहलहूँ  - पी अच् डी केलाक  बाद गामहिमे रहैत छथि  आ साहित्य पढैत-लिखैत रहित छथि- हुनक कविताक अनुवाद अनेक भारतीय भाषामे  भेल अछि , हिन्दीमे ६०,बँगला मे १५ ,     अंगरेजी,   ओरिया , नेपाली , कन्नड़ , मराठी मे  सेहो  भेल छनि
  दू  कविता पोथी कहानी  - 'हम  घर  घुरी  रहल  छि' ( महेश्वरी  सिंह  महेश  सम्मान चेतना समिति पटनाक  ), 'अंगना    एकटा  आग्रह  थिक'  (२०१० मे रहिकास  यात्री  सम्मान ) , केदार  कानन संगे जीवकांत जीक  'तकैत  चिरई'क हिन्दीमे साहित्य अकादमीस अनुवाद 'निशांत की  चिरिया'  छपल अछि. ,
ओ आधुनिक विश्वक परिपेक्ष्यमे भारतमे साहित्य सृजनक इतिहास बतौलाह -


कोना पश्चिममे श्रम आधारित वर्गीकृत समाजमे शोषित लेल लिखल गेल आ कोना भारतमे प्रेमचंद आगाँ अयलाह जे ग्रामीण भारतक आ ओहि पर आधारित शहरी समाजक शोषणक चित्र  खीचलाह मुदा (जे उर्दूस लेल शब्द ओ बतेलाह)  जकरा जैनेन्द्र  व्यक्तिवाद क दिसि    ले गेलाह जकरा अज्ञेय बढौलाह  – असाध्य  वीणा  – मे - व्यक्ति    प्रकृतिक  बीच मे  रहस्य वाद  के  लिख्लन्ही  जे   अस टी  कोलरिज क जे  मेटा फिजिकल कवी छलथि  रहस्यवाद क अनलन्ही जिनक   कुबला खान  कविता नारायणजी  २०० बेर पढने हेताह जाही सकविता मे रहस्यवाद प्रारंभ होइत छैक 
 
जैनेन्द्र  स्वयम  व्यक्तिक बात केलाह  अपन  किताब 'रेजिग्नेसन जकरा  अज्ञेय   त्यागपात्र नामस अनुवाद केलथि   अओर  जखन सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन '(१९११-१९८७) १९३०-३६ क बीच जेल मे क्रांतिकारी गतिविधि चलते छलथि अपन किछु कविता जैनेन्द्र के पठेल्खिंह जे हुनका नाम`अज्ञेय' देल्खिंह ओ  आगाँ बढेलाह- यद्यपि  पूंजी  के  खिलाफ  ओ नही लिखलाह ताहि हेतु हुनका एलिट वर्ग क लोक कही लग्लैन्ही आ एहि बीच यात्री जी नागार्जुन नाम स s k जनवाद  के अगान अनलाहफेर कविता मे प्रतीकवाद  रघु बीर  सही अनलाह  विश्वबोध  सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ' खूटियो  पर  टंगे  लोक ' द्वारा  –
देकह्ल जय त  जैनेन्द्र आ अज्ञेय' नोबल के लायक छलाह अज्ञेयक नाम सेहो गेलैन्ही.
बाद मे केदारनाथ  सिंह  आधुनिक  कवितामे  रिदम अनलन्ही   आ  लोक क  कविताके  मंगेश डबराल आदि बधुअलाह  जे छंद नही मान्लाह 
उम्हर बंगला मे - प्रकृति  प्रेम - जीबनानंद क   जीवनक  आसक्ति  पर  छलन्हि  – सती  चट्टोपाध्याय  जाहि   पर  विश्वास  बढौलाह  - अरुण  आ महाश्वेता    नक्सल मत पर  जोर देलन्ही
मराठीमे  लिमाले , चित्रे - दलित  कविता  बनौलन्ही
पंजाबीमे अवतार  सिंह  सिद्धू   अपने  समय  के  बीचमे - सत्ताक विरोध  आतंकवादक पक्षमे लिखलक -
ओरियामे - आधुनिक  सांस्कृतिक  दर्द  मध्य   भारतक प्रतीकस कायल गेक  इन्द्रद्युम  , जरा ..  नारायण क एक साक्षात्कार ओरिया पत्रिका 'गंगा  सिहुलिमेमे छपल जाहिमे ओ कहने छलाह जे ओरिया आबहूँ    मध्यकालीन बिम्बमे जीबैत  छथि   राधा  आ ज़रा सबर ,इ मैथिली  कवितामे लोकबिम्ब अछि सामा चकेबामे लोकधारणा  अछि - जखन सब आधुनिक कविता ख़त्म भय जायत मैथिलीक बिम्बस ओकर पुनर्जीवन ओहिना हेतैक जेना विद्यापतिस कहियो भेल छलैक

घोघरडीहा व घघोरडीहामे ओ कहलाह  जे व्याकरणक  कामता प्रसाद गुरु क जे पाणिनि    अष्टा ध्यायी  क बलाघात  या rule of stroke  व्याकरणक एक सूत्रक अनुसार अंत मे आकार हो त ओकर पूर्वक दीर्घ ह्रस्व  भय जेबाक चाही ताहि हेतु घोघरडिहा शुद्ध भेल मुदा प्रचलित अछि घोघरडीहा ओना ने त ओतय हमरा  घोघटबाली कियो  महिला देखेलीह ने घोन्घौज  करैत कुजरनी जे हांज  क हांज ट्रेनमे यात्रा करैत छथि  - कहक चाही जे स्टेसनमे ईलाकाक  धड़धडी    छैक- हम ओतुक्का एक फोटो लेब लगलहूँ त किछु युवती बुझि गेलथि   मुदा हुनक फोटो त खीचा गेल छल (देखू पोस्टसबमे) - गरीब  ग्रामीण समयक मोल नहि- देरस चलैत  गाडी- लागल चढ्यमे दिक्कत  होयत मुदा सीट भेटल- झंझारपुर तकके  अनेक स्टेसनक  बीच वैअक्म भेल - हमरा ई इलाका बहुत नीक लगैत अछि - फ़िरोज़ तुगलकक नाम पर पिजुरगढ़ देखल चिक्कन लोक सबहक जगह चिकना, खेतमे हरीयरी  आ कातमे बगुला, दूर- दूर तक खेती, काश-कुशस भरल- फेर आयल तामुरिया जतय मंदिर लग हमर  २.१०.१० क आ १२.१०.१० क भाषण भेल छल मिथिला  राज्य लेल, आ सब लोक समर्थन  केने छलाह - मिथिला दीप  दीप गामक नाम पर जोडल मिथिला हमरा नीक  लगैत अछि- कहक चाही पूरा क्षेत्र एखन  प्रदूषणस बांचल अछि- लोक मंगैत छथि बड़ी रेल लाइन जरूर भेटैन्ही  मुदा तखन ओ नैसर्गिक छटा नहि रहतैक आ लोकक बीच सहजता आ सरलता. देखल एक महिला स्टेसन लग दोकानस सिघाडा  खरीद अनलक आ मिठाई - बच्चा के देलकैक  -ओकरा के बुझायत जे पानीफल सिंघाड़ा नीक स्वास्थ्य लेल  तेलहा सिघाडा नहि- जकर नामहूँ पानीफल देखि पडल हेतैक
सोचने छलहूँ  समय पर  झंझारपुर  वर्गमे पहुचब मुदा से नहि भेल आ ओतय कल्पकवि  तिरहुताक वर्ग लय रहल छलथि अरुण झाजी आबि कय चली गेल छलथि- किछु बात बता हम फेर मधेपुर ३ बजे निकलय लेल  उठलहूँ   की महींद्र मिश्रक फोन - कहलियेन्ही अबैत  छी आ एक टेम्पो  धयल जे १४ किलो मीटर दूरी जल्दीए पहूँचेलक- आई जरूर अधिक शिक्षार्थी छलथि  मुदा १०० नहि जे महेंद्र जी कलही  कहने छलथि ओना हमरा बुझल छल जे १०० आदमी हमरा सुनय लेल जमा नहि होयत - हम कोनो लाल पीयर बत्ती बाला नेता कहाँ  छि? ने हम  चाहैत  छि  जे नेता बनि  झूठक  खेती करैत रही. 
२७.१०.२०१२ करीब चारि बजे मधेपुर लक्ष्मीपुर चौक  लग पहुंचलहूँ  हमेशा जकां  भीड भाड़ अगल- बगलक गाँवस लोकक चलते
- सीधा हर्षपति महाविद्यालय गेलहुँ - प्रशिक्षणक बाद महिषाम  जेबाक बात छल मुदा हेमकांत  नहि पहुंचल छलाह - पूछल के छि  बाइकबला? - रहुआक नारायणजी  एक दिन पूर्व फोन केने छलाह से आयल छलाह   बाइकस .ओहो कविता लिखैत छथि - लगैत अछि घोघरडीहाबला  नारायणजीक नाम चलैत रहत

कह्लियैन्ही अहाँक गाम जायब प्रदोष व्रतक पूजा  करब आ ओतहि रहब यदि अहाँ के दिक्कत नहि हो?
ओ सहर्ष तैयार भेलाह आ किछु काज छलन्हि चौक पर जकर बाद अयलाह - लागल प्रदोष समय बीति जायत - प्रदोष कहाईत   अछि  सूर्यास्तक बाद ६ घड़ी ; २४ घंटामे ६० घड़ी यानी ६ घड़ी  भेल १४४ मिनट . सूर्यास्तक समय  करीब साढ़े पांच छल- मुदा ओहि समय कोना तीन  घड़ी ध्यानमे रहल  जे कह्लियैन्ही सीधा जल्दी चलू पारसमणि महादेवक  पहिले दर्शन करब जतय महंथ लक्ष्मीनाथ गुसाईं के सिद्धि  भेटल छलन्हि
पहिले भखरैन गाम पडल फेर आगाँ गेला  पर रहुआ गामक पहिले  बामा कात किछु दूर सूनसानमे पारसमणि महादेबक प्रसिद्ध मंदिर - शुक्ल त्रयोदशी चलते चन्द्रमा देखा रहल छलथि सब किछु -मंदिरक  ग्रील  बंद मुदा दीप जरैत - नारायणजी कहलाह जे एही मंदिरमे रातिमे  कियो रहबाक नहि सोचैत अछि - भैरब ओकर हानि करैत छथि- हमरा लगैत अछि एही चलते ओतुक्का असली पारसमणि चोरके चोरबयमे सुविधा भेल हेतैक - बादमे एतय  नब शिरास किछु कृत्रिम बनाओल गेल - झोरा राखी ओतहि चापाकलमे स्नान कयलहूँ . भोरमे घोघरडीहामे शिवक विवध स्तोत्र पाठकय लेने छलहूँ जे  बिजली भावमे एतय फेर करब संभव नहि छल- महादेवके प्रणाम कायल  आ फोटो लेल  - पार्वती मंदिरक सेहो  फेर बाहरमे ओ दू पीपर गाछक जतय लक्ष्मीनाथ गुसाईंके सिद्धि  भेटल छलन्हि
मोन  प्रसन्न  भय  गेल - १५ दिन पूर्व प्रदोषमे कुशेश्वरधाममे बाबाक दर्शन भेल छल ( आ अगिला कपिलेश्वरस्थानमे संभावित अछि ११.११. क)
नारायणजीक घर गेलहूँ आ पारण भेल - अनेक विधि बात
ओ गामहिमे रहि बच्चा सबके पढबैत छथि -
नारायणजीक भाई कांवर  लय हर मास बाबाधाम जाइत छथि  से २८.१० .१२ क भोरमे निकलि गेलाह दरभंगा ट्रेन पकडय सुल्तानगंज लेल
मैथिली कार्यकर्ता विनय   मोहन जगदीश  जी अयलाह जे तिरहुता जनैत  छथि  आ हमरास अनेक बेर फोनस बात केने छथि - विविध बात भेल - अपन घर  चलक आग्रह केलाह - कहलियेन्ही तैयार भय भोजनकय अबय छि से गेलियेन्ही - गामक बसक कथा सुनौलाह - कोनो पंडित भगवत  झा  कुजय्बार  सतेल  (खजौली लग  सतेल गाम क  कात्यायन  गोत्री)   के बेटा नहि छलन्हि- अपन भातिजके चार पर सज्मानी  तोडय  चढेलखिन्ह - हुनक भाबहू कही उपराग देलखिन्ह अपने त एकटा मुसरी नहि भेलन्हि   हमर नेना कंही खसी गेल चारस त पंडितजी बहुत दुखी भेलाह आ दूनू प्राणी घर छोड़ी निकलि गेलाह दक्षिण दिसि- एही रहुआ गाम क पश्चिम मे  बडक  गाछक  नीचा रुकलाह   - एहि गाममे ब्राह्मण नहि l  - हिनकर स्वागत भेल आ लोक रूकक आग्रह केलन्ही आ एतय हुनका तीन  संतान भेलन्हि ओ  कुश अपनहि उखाड़ी   आसिनी अपन हाथ बना सूर्य क उपासना केल्खिंह- ब्राह्मण  वेश मे सूर्यदेव प्रत्यक्ष  भेलाह - "हमरा  देह  काप  लागी  गेल - ऐना   कुश पर तपस्या कियैक करय  छिओ बजलाह- हमारा संतान नहि से भावहु कहलीह से काप जकां लगैत अछि? सूर्यदेव वरदान देलखिन्ह तोरा तीन बेटा हेतौ.
सिह भेलाह  उमानाथ झा, महिनाथ झा आ रघुनाथ झा  आ फेर हुनक जमाय भगिनमानस गाम  ब्राह्मणक  ४२  गोत्र स  भरी  गेल -
दरभंगा स ७० किलो मीटर दक्षिण -पूब ई गाम प्रसिद्ध  अछि - एही गामक अशोक  'अबिचल' 27.10.1995 k rasiyaree dr. Lakshaman jha k gaam jai kram me bhetal chhalah  se दोसर अंतरराष्ट्रिय  मैथिली सम्मलेन जनवरी ७-८ ,१९९६ m eayalaah aa baad me jamshedpurme pradhyapak bhelaa par  लगातार  AMP s जुटल छथि-  सगर राति दीप जारी के आयोजनक बाद मैथिली सबस मोट कथा संग्रह "कथा पारस"क प्रकाशन एहि गामक एक दाता दुखमोचन  झा क सहज दानस भय गेलैक जाहीमे करीब एक लाख रूपा लगलैक - १२५ जीवेइत कथाकारमे हमरहूँ  एक कथा, 'एक वोट क लेल' ओहिमे प्रकाशित अछि मुदा गामक बारेमे    कथा ओहिमे नहि देल गेल अछि - गामक बारेमे  एक  मोनोग्राफ  हेबाक चाही बल्कि हर गाम के अपन बारे मे  प्रकाशित करक चाही- हमरा बिदाई में जनेऊ सुपाड़ी संग किछु रूपा लेबाक लेल बढौलाह - जनेऊ लय कहलियेन्ही जे अहाँ परिषदक सदस्य बनी जाई कार्यालय के ई पाई पठा कय .
 एम्हर शिवशंकर झा 'राही' अंतरराष्ट्रिय  मैथिली परिषद् जमशेदपुर क महासचिव भेलाह आ आब बंगलौर क अध्यक्ष छथि - हुनक पिताजी भोरे आबि भेंट केने छलाह- ओ पूर्व मुखिया अखनहु गाम लेल सक्रिय छथि- पिछला साल सिमरियाघाटक कुम्भवासमे भेंट भेल छल- हुनक घर सेहो  अंतमे गेलहुं आ सोचने छलहूँ भखरैन  अपन बहिनिक सासुर देखि ली मुदा अध्यक्ष कमलकांतजीक फोन आयल जे ओ हर्षपति महाविद्यालय पहुंची गेल छथि- सीधा ओतय गेलहुं - नारायणजीक घरमे हुनका लेल रोटी भुजिया बनबा लेने छलहूँ - जाबत कार्यक्रम प्रारंभ भेल हुनक  भोजन भय गेल - समापन कार्यक्रममे हमर पितियौत ज्येष्ठ भाई डॉ. उमेश ठाकुर मुख्य अतिथिक रूपमे १७.१०.१९९३ क ओहि दिनक बात दोहरेलाह जे गुरुदेब रबीन्द्र कहने छलखिन्ह-एकला चलो रे.. ओ कहने छलाह- " जे आई तूँ असगरे छह काल्हि मिथिला तोहर पाछाँ रहताह. " हम मोने मन सोचलहूँ अहि २० वर्षमे  त ई स्थिति नहि आयल तखन  महीन्द्रजी चलते कहुना ओहि मधेपुरमे  प्रशिक्षण वर्ग भय गेल -१८ प्रमाण पत्र बाँटल  - जतय चौक पर महामना जानकी नन्दन सिंहक मूर्ति  अछि जे मिथिला राज्य लेल १९५४ में कल्याणी कांग्रसमे सैकड़ों प्रतिनिधि लय गेल छलाह जिनका सबके आसनसोल मे नज़रबंद कायल गेलैन्ही..डॉ लक्ष्मण  झा बागलक रसियारी गामक ..मुदा ओ सब असफल केवल एहि लेल भेलाह जे कार्यकर्ता निर्माण नहि केलाह आ हम सब यैह प्रयास कय रहल छि उम्हर    झंझारपुर स फोन - कमाल्कान्त्जी संगे सामने एक टेम्पू लेलहूँ   आ चिर परिचित रास्ताक हरीतिमा देखैत झंझारपुर दिसि -लखनौरक  दू युवाके पर्चा देलियेन्ही जे बहार रहित छथि आकाज स जुडताह  से कहलाह
टिबरेबाल  विद्यालयमे कार्यकर्त्ता जमा  छलाह- रुंजी, दिनेशजी आदि आ ओतय समापन काय फेर कल्प कवी आ कमलकांत जी संगे दरभंगाक बस देलहुं- कल्प्कवि सरिसब मोड़ पर आ कमलकांत जी सकरी उतरलाह आ हम हिघ्वाय्बला रास्ता स पहिल बेर दरभंगा मब्बी लग स घुमैत - स्टैंड स उतारी टेपू स विद्यापति चौक सतसं दिसि देखल कथार्वादी मे मिथिला आवाज़ दैनिक क कार्यालय क बोर्ड- उतरे गेलहुं- मैह्तिली कार्यकर्ता रोशन के ताकल आ ओतहि भेटलाह अमलेंदु पाठक आ  एक पत्रकार जे दिल्ली २१.१२.२००८ क १८म अंतरराष्ट्रिय मैथिली सम्मेलनमे प्रश्न पूछने छलाह से फेर दोहरा देलाह - मिथिलाक राजधानी कतय आ एकर संसाधन की? सामान उत्तर देलियेन्ही मिथिला मे आ मिथिल्क संसाधन(बांकी बिहारस ओहुना किछु नहि भेटत).
अजित आजाद एही अखबार   मुख्य प्रशासी  अधिकारी - नीक लागल - कहियो ई घोघरडीहा मे १९९५ मे संग भेल छलाह -फेर छुटि काय साहित्य कार्यमे लगलाह(ओहू समय साहित्य अकादमिक संयोजक के क फोन आबि रहल छलन्हि? नाम हमरो छल ओहि सूचीमे मुदा हम निरपेक्ष भाव स नब नाम सुनलहूँ ) - अजीतके कहलियैन्ही  अहाँक हाथमे नौकरी  बदलक चक्कर लिखल अछि  -ओ कह्लाह ४१ सालक आयुमे ४४म नौकरी छनि आ ६० साल होम तक १०० नौकरी पुरेबाक छनि मुदा जाबत जतय रहताह ओकर भय रहताह. कह्लियैन्ही तखन    ओहू पर एक कथा लिखा जायत....किछु और सामान्य  बात कय  निकललहूँ  नीचां ..बाहर छोड़य  अयलाह.. नीचा एक चेहरा देखि थम्कलहूँसहरसामे पहिले जागरणमे पत्रकार  महापात्र छलथि ओहो  चिन्ह्लाह- बाहर अजीत आ अमलेंदुके फोटो खिची बिदा कायल आ पैदल  विद्यापतिक आ फेर सुमनजीक मूर्ति लग जा  फोटो खीचलहूँ- राजकुमारगंजमे डॉ. सुरेश्वर झक डेरा गेलहुं - नहि छलाह  - फ़ोन कय हुनक आवासक  एक बच्चास हुनका ऊपर  एक प्रकशित पोथी 'अभियानी'क प्रति लेलहूँ जाहिमे हमर एक लेख सेहो हुनका ऊपर अछि  .
बहिनिक डेरा अबैत  काल ऍम आर ऍम कोल्लेगेक सामने वामा कात प्रोफ़ेसर कॉलोनीमे मुडैत  सीमेंटेड नाला पर पैरक आगाँ  तुरंत एक चौड़ा मटमैला चमकीला छालबला -३ हाथक सांप सामनेस  निकलि गेल - घरबसी के हल्ला  कय साकांक्ष कायल -  डेरामे छोट बहिनि कहलक  सांखड़  साप रहल होयत  जे आदमी क  संग वास करैत  अछि - भोजन केलहुं आ  भगिनी (जे रांचीमे पढैत अछि )  के संग स्टेसन  सिंगियाबला एही बहिनोइक संग- स्टेसन पर जमशेदपुर क  सिंगियावासी कृष्णमुरारीके फ़ोन मालूम भेल दूनू अपरिचित - कारण  ओ छथि माहे -सिंगिया सम्स्तीपुर्क रोसड़ा -कुशेश्वर बीच क आ ई छथि पिंडारुछ  लगहक सिंगिया के. संयोग स बहिनोइक कक्का अपन बेटी संगे बोकारो अबैत आ हुनक आरक्षण संगहि एकहि कोच नहि एक बे मे यानी ८ मे ४ हमरही  सबके -  भीड़ बहुत छल- असीं  पूर्णिमाक    बरौनी  तकके सिमरियाघाट  कल्पवासमे जाइत वृद्धा महिलासबके- कोनहुना चढ़लहूँ . स्टेसनक  बुक स्टाल पर गौहाटीक पूर्वोत्तर मिथिला समाजक आ मुंबईक मिथिला दर्पणक प्रति खरीदने  छलहूँ - दूनूमे एक -एक समाचार अंतरराष्ट्रिय  मैथिली परिषदक छपल देखल - फारबिसगंजमे भेल २४म अंतरराष्ट्रिय  मैथिली सम्मलेन  आ तरौनीक  ३१म कार्यकता प्रशिक्षण शिविरक . आब ई भेल ३२म आ ३३म शिविर क रिपोर्ट  जे जागरण, आ काल्हि निकलि जेब ३४म पुपरी ३५म बेनीपती  ३६म धकजरी ३७म मधुबनी आ ३८म रहिकाक कार्यकरता प्रशिक्षण शिविरक लेल...